________________
अलंकारचिन्तामणि अजितसेनके नामसे शृंगारमंजरी नामक एक लघुकाय अलंकारग्रन्थ भी प्राप्त है। इस ग्रन्थमें तीन परिच्छेद हैं। कुछ भण्डारों की सूचियोंमें यह ग्रन्थ 'शयभूप' की कृतिके रूपमें उल्लिखित है । किन्तु स्वयं ग्रन्थकी प्रशस्तिसे स्पष्ट है कि शृंगारमंजरीकी रचना आचार्य अजितसेनने शीलविभषणा रानी विट्ठलदेवीके पुत्र और 'राय' नामसे विख्यात सोमवंशी जैन नरेश कामिरायके पढ़नेके लिए संक्षेपमें की है। प्रशस्तिपद्य निम्नप्रकार है
राज्ञी विट्रलदेवीति ख्याता शीलविभूषणा । तत्पुत्रः कामिरायाख्यो 'राय' इत्येव विश्रुतः ॥ तद्भूमिपालपाठार्थमुदितेयमलंक्रिया।
संक्षेपेण बुधैर्येषा यद्भात्रास्ति ( ? ) विशोध्यताम् ।। शृंगारमंजरीकी दो प्रतियाँ उपलब्ध हैं। एक प्रतिके अन्तमें 'श्रीमदजितसेनाचार्य-विरचिते शृङ्गारमञ्जरीनामालङ्कारे तृतीयः परिच्छेदः' तथा दूसरी प्रतिमें "श्रीसेनगणाग्रगण्यतपोलक्ष्मीविराजिताजितसेनदेवयतीश्वरविरचितः शृङ्गारमञ्जरीनामालंकारोऽयम्" लिखा है । विजयवर्णीने राजा कामिरायके निमित्त शृंगारार्णवचन्द्रिका ग्रन्थ लिखा है। सोमवंशी कदम्बोंकी एक शाखा वंगवंशके नामसे प्रसिद्ध हुई। दक्षिण कन्नड़ जिले तुलु प्रदेशके अन्तर्गत वंगवाडपर इस वंशका राज्य था। बारहवीं-तेरहवीं शतीके तुलुदेशीय जैन राजवंशोंमें यह वंश सर्वमान्य सम्मान प्राप्त किये हुए था। इस वंशके एक प्रसिद्ध नरेश वीर नरसिंहवंगराज (११५७-१२०८ ई. ) के पश्चात् चन्द्रशेखरवंग और पाण्ड्यवंगने क्रमशः राज्य किया । तदनन्तर पाण्ड्यवंगकी बहन रानी विट्ठलदेवी (१२३९-४४ई.) राज्यकी संचालिका रही। और सन् १२४५ में इस रानी विट्ठलम्बाका पुत्र उक्त कामिराय प्रथमवंगनरेन्द्र राजा हुआ। विजयवर्णीने उसे गुणार्णव और राजेन्द्रपूजित लिखा है । प्रशस्तिमें बताया है---
स्याद्वादधर्मपरमामृतदत्तचित्तः सर्वोपकारिजिननाथपदाब्जभृङ्गः । कादम्बवंशजलराशिसुधामयूखः श्रीरायबङ्गनृपतिर्जगतीह जीयात् ॥ गर्वारूढ़विपक्षदक्षबलसंघाताद्भुताडम्बरामन्दोद्गर्जनघोरनीरदमहासंदोहझञ्झानिल । प्रोद्यद्भानुमयूखजालविपिनवातानलज्वालसादृश्योद्भासुरवीरविक्रमगुणस्ते रायवङ्गोद्भवः ॥ कीर्तिस्ते विमला सदा वरगुणा वाणी जयश्रीपरा लक्ष्मीः सर्वहिता सुखं सुरसुखं दानं निधानं महत् ।
१. जैनग्रन्थ प्रशस्ति संग्रह, प्रथम भाग, वीर सेवा मन्दिर, ई. सन् १६५४, पृ. ६०, पद्य ४६-४७ । Jain Education International For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org