________________
द्वितीयः परिच्छेदः 'कौरवदुर्योधनः । रवः । वः ।। शक्तितुष्टिद्वयं कुर्युः के क्रियन्ते शरासने । के के वक्षसि राजन्ते राज्ञां को निःस्वतृष्टये ॥१०७॥ आज्याहाराः घृतमिश्रिताहाराः । राः । गोरेत्य नवमासान् क्व पुरुदेव्याः स्थितः सुतः । आद्यवर्णद्वयं त्यक्त्वा नीचसंबोधनं कुरु ॥ १०८॥ उदरे। चकाराष्टसहस्रों को मुनिवृन्दारको भुवि । मध्यवर्णद्वयं त्यक्त्वा का जायन्ते वदाऽगमात् ॥१०९।।
उत्तर-कौरवः-दुर्योधन; पाण्डवोंका शत्रु दुर्योधन था। उत्तरवाचक इस 'कौरवः' शब्दमें-से आदि वर्ण 'को' हटा देनेसे 'रवः' अवशेष रहता है। वसन्तमें कोयलका रव-कोकिलाध्वनि कामियोंके चित्तका हरण करती है। कोरवः' शब्द में-से आदिके दो वर्ण कम कर देनेपर 'वः' अवशिष्ट रहता है । युष्मद् शब्दसे षष्ठी विभक्तिके बहुवचनमें 'व:' रूप बनता है।
बल और सन्तोषको बढ़ानेवाला कौन है ? धनुषपर क्या किया जाता है ? राजाओंके वक्षःस्थलपर कौन सुशोभित होते हैं ? निर्धनको कौन सन्तुष्ट करता है ? १०७॥
उत्तर-आज्याहाराः। आज्यम्-घृत बलवृद्धिकारक और सन्तोषप्रद होता है । धनुषपर ज्या-चाप ( डोरी ) को सजाया जाता है। राजाओंके वक्षस्थलपर 'हाराः' स्वर्ण आदिके हार सुशोभित होते हैं। निर्धनको सन्तुष्ट करनेवाला 'राः'धन है।
पुरुदेवी--मरुदेवोके यहां आकर पुत्र नवमास तक गर्भ में कहाँ रहा? इस प्रश्नके उत्तरवाचक शब्दमें-से आदिके दो वर्ण हटा देनेपर 'नीच' का सम्बोधन हो जाता है ॥१०८।।
उत्तर-'उदरे'-मरुदेवीके उदर में पुत्र नवमास तक रहा। 'उदरे' शब्द में-से आदिके दो वर्ण उ और द के हटानेपर 'रे' अवशिष्ट रह गया। यह 'रे' ही नोचका सम्बोधन है।
किस श्रेष्ठ मुनिने इस संसारमें अष्टसहस्रीकी रचना की। उत्तरवाचक इस शब्दके मध्यवर्ती दो वर्गों के हटा देनेपर आगमके अनुसार क्या होना चाहिए ? बतलाइए ॥१०९३॥
१. कौरवः दुर्योधनः -क-ख । २. मरुदेव्याः
-क ।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org