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________________ अलंकारचिन्तामणिः [१५२वर्षासु घनकेकिश्रीझञ्झानिलसुवाःकणाः । हंसनिर्गतिकेतक्यः कदम्बमुकुलादयः ॥५२।। शरदीन्द्विनसुव्यक्तिहंसपुङ्गवहृष्टयः । शुभ्राभ्रस्वच्छवाः पद्मसप्तच्छदजलाशयाः ॥५३॥ हेमन्ते हिमसंलग्नलतामुनितपःप्रभा। शिशिरे च शिरीषाब्जदाहशैत्यप्रकृष्टयः॥५४॥ द्युमणावरुणत्वाब्जचक्रवाकाक्षिहृष्टयः । तमःकुमुदतारेन्दुप्रदीपकुलटार्तयः ।।५५।। शुष्कता, मृगतृष्णा, मृगमरीचिका, प्रपा-प्याऊशाला तथा कूप या सरोवरसे जल भरनेवाली नारियोंका चित्रण करना चाहिए ॥ ५१ ।। वर्षा ऋतु के वर्णनीय विषय .. वर्षा ऋतुमें मेघ, मयूर, वर्षाकालीन सौन्दर्य, झंझावात, वृष्टिके जलकण-फुहार और बौछार, हंसोंका निर्गमन, केतकी-कदम्बादिकी कलिकाएं और उनके विकासका चित्रण करना चाहिए । अर्थात् उक्त तथ्योंका चित्रण वर्षा ऋतुके वर्णनमें करना अपेक्षित है ॥ ५२॥ शरद् ऋतुके वर्णनीय विषय शरद् ऋतुका चित्रण करते समय चन्द्रमा और सूर्य की स्वच्छ किरणोंका, हंसोंके आगमनका, वृषभादि पशुओंकी प्रसन्नताका, श्वेत धनका, स्वच्छ जलका, कमलसप्तपर्ण आदि पुष्पोंका एवं जलाशय आदिका वर्णम करना चाहिए ।। ५३ ।। हेमन्तके वर्णनीय विषय हेमन्त ऋतुके वर्णनमें हिमयुक्त लताओं, मुनियोंकी तपस्या एवं कान्ति आदिका चित्रण करना चाहिए ॥ ५३३ ॥ शिशिर ऋतुके वर्णनीय विषय शिशिर ऋतुमें शिरीष और कमलका विनाश एवं अत्यधिक शैत्यका विस्तृत वर्णन करना आवश्यक है ।। ५४ ॥ सूर्यके वर्णनीय विषय सूर्यका वर्णन करते समय उसकी अरुणिमा, कमलका विकास, चक्रवाकोंकी आँखोंकी प्रसन्नता, अन्धकारका नाश, कुमुदिनीका संकोचन, तारा-चन्द्रमा-दीपककी प्रभावहीनता एवं कुलटाओंकी पीड़ाका चित्रण अपेक्षित है ॥ ५५ ॥ १. ननु-ख। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001726
Book TitleAlankar Chintamani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAjitsen Mahakavi, Nemichandra Siddhant Chakravarti
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1944
Total Pages486
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Kavya
File Size25 MB
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