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३०. छः अवान्तर मण्डल (छः दर्शन )
[ राक्षसनियों का वर्चस्व कब तक और कहाँ समाप्त होता है यह जानने के बाद प्रकर्ष को अन्य बातें जानने की जिज्ञासा होने लगी । प्रकर्ष बहुत जिज्ञासु था और सभी बातें समझ लेने का प्रयत्न कर रहा था तो विमर्श भी सब कुछ बताने में प्रसन्नता का अनुभव कर रहा था ।]
मिथ्यादर्शन की शक्ति
प्रकर्ष - मामा ! महामोह आदि समस्त राजाओं का कितना पराक्रम है और भवचक्र पर कितना वर्चस्व है यह तो मुझे अच्छी तरह समझ में आ गया, किन्तु पहले आपने इसके मन्त्री मिथ्यादर्शन का वर्णन किया था और बताया था कि इसकी पत्नी कुदृष्टि महा भयंकर है । यह मिथ्यादर्शन अपनी शक्ति से भवचक्र में कैसे-कैसे संयोगों में क्या-क्या प्रभाव उत्पन्न करता है, यह नहीं बताया था । अतः मामा ! इस मिथ्यादर्शन के गुण और स्वरूप का तथा उसके वशीभूत लोगों का व्यवहार कैसा होता है, यह जानने की मेरी उत्कट इच्छा है, अत: इस विषय में स्पष्टीकरण करें । [२३-२६ ]
विमर्श - प्रिय प्रकर्ष ! तूने ऐसा प्रश्न पूछा है कि उसका उत्तर बहुत विस्तार से देना पडेगा। वैसे तो इस भवचक्र का अधिकांश भाग मिथ्यादर्शन के व. में रहता है, इसमें कोई संशय नहीं है । मानवावास आदि चारों उपनगरों के * निवासी तो प्रायः इसके वशीभूत रहते ही हैं । अब विशेष रूप से इसकी प्राज्ञा में रहने वाले प्राणी कहाँ-कहाँ रहते हैं, उनके मुख्य-मुख्य स्थान कौन से हैं? इनका स्पष्ट वर्णन करता हूँ । इतना कहकर विमर्श ने अपना दाहिना हाथ ऊंचा कर तर्जनी अंगुली से उन स्थानों की ओर निर्देश करता हुआ बोला- भाई ! इस मानवावास उप-नगर के अन्तर्गत जो सामने छः प्रवान्तर मण्डल (मोहल्ले ) देख रहे हो उनके निवासी विशेषरूप से इस मिथ्यादर्शन के वशीभूत हो कर इसकी आज्ञा में रहते हैं । [ २७-३२]
प्रकर्ष - मामा । इन छ: अवान्तर मण्डलों के नाम क्या - क्या हैं ? इनमें रहने वाले लोग किन-किन नामों से जाने जाते हैं ? [३३]
विमर्श - इन छः में से प्रथम का नाम नैयायिकपुर है, इसके निवासी नैयायिकों के नाम से जाने जाते हैं । दूसरे का नाम वैशेषिकपुर है और इसके निवासी वैशेषिकों के नाम से जाने जाते हैं। तीसरे का नाम सांख्यपुर है और इसके निवासी सांख्य के नाम से जाने जाते हैं । चौथे का नाम बौद्धपुर है और इसके निवासी बौद्ध कहलाते हैं । पाँचवें का नाम मीमांसक नगर है और इसके निवासी मीमांसक कहलाते
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