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प्रस्ताव ४ : सात पिशाचिनें
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अधिक पीड़ा होती है कि जिसका वर्णन करने में कोटि जिह्वाएं (बृहस्पति) भी असमर्थ है । वत्स ! यह पापीपिंजर नगर तो पूर्णरूप से एकान्त दुःखमय है, कष्टों से परिपूर्ण और क्लेशों से व्याप्त है। मैंने संक्षेप में इसका वर्णन किया है।
[११३-११८] मैंने तेरे समक्ष मानवावास, विबधालय, पशुसंस्थान और पापीपिंजर इन चारों उप-नगरों का वर्णन किया। भैया ! इन चारों का स्वरूप यदि तूने सम्यक् प्रकार से समझ लिया तो समझले कि तूने भवचक्र नगर का भलीभांति निरीक्षण कर लिया। [११६]
____ मामा के वचन सुनकर भगिनीसुत प्रकर्ष ने अपनी दृष्टि को आदरपूर्वक भवचक्र नगर की तरफ से घुमा लिया । [१२०]
२८. सात पिशाचिने मामा-भाणेज बातें कर रहे थे । बहिन भारती (बुद्धि) का पुत्र प्रकर्ष आनन्दपूर्वक सविशेष अवलोकन कर रहा था। विमर्श से स्पष्टीकरण सुनकर आनन्दित हो रहा था और कौतूहल से नये-नये प्रश्न पूछ रहा था। जब वह भवचक्र नगर का अवलोकन कर रहा था, दृष्टि को चारों और घुमाकर आश्चर्य से देख रहा था और प्रश्न पूछकर स्पष्टीकरण करवा रहा था, तभी उसने एक अति विचित्र और हृदयद्रावक दृश्य देखा। पिशाचिनी महेलिकाओं (स्त्रियों) के दर्शन : परिचय
यह दृश्य देखकर प्रकर्ष चौंका, उसके मुख पर ग्लानि के चिह्न स्पष्ट दिखाई देने लगे और पगलाते हुए विमर्श से पूछने लगा-अरे मामा ! देखिये तो वहाँ सात महेलिकायें (स्त्रियाँ) दिखाई दे रही हैं जो एकाएक ध्यान आकर्षित करें ऐसी हैं। इनकी प्राकृतियाँ अति रौद्र एवं बीभत्स हैं और वे लोगो को पीड़ा देने वाली लगती हैं । इनके उग्ररूप से ऐसा जान पड़ता है कि वे सर्व शक्ति-सम्पन्न हैं और समस्त स्थानों को इन्होंने आक्रान्त कर रखा है। तवे जैसे काले रंग वाली वैतालिनों सी वे स्त्रियाँ देखने में अति बीभत्स लग रही हैं। लगता है इनका नाम सुनकर ही लोगों को कंपकंपी छट जाती होगो । मामा ! ये सात स्त्रियाँ कौन हैं ? इनका क्या कार्य है ? इनको प्रेरणा देने वाला कौन है ? इनमें कितनी शक्ति है ? इनके परिवार में और कौन-कौन हैं ? इनकी आकृति से ऐसा प्रतीत हो रहा है कि वे किसी को पोडित करने के लिये दृढ़ निश्चय पूर्वक तैयार हैं। जब तक आप मुझे * पृष्ठ ४२१
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