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उपमिति-भव-प्रपंच कथा मेरे पास मनुजगति नगर में आ गई और जिस दिन मेरा जन्म हुआ उसी दिन उसने वैश्वानर पुत्र को जन्म दिया। जैसे-जैसे मैं बड़ा हुआ वैसे वैसे ही वैश्वानर भी बड़ा हुआ । जब वैश्वानर समझदार हो गया तब अविवेकिता ने उसे सब समझा दिया कि कौन-कौन उसके प्रात्मीय स्वजन सम्बन्धी हैं।
हम कुशावर्त जाने के लिये चलते हए जब रौद्रचित्त नगर पहँचे तब मेरे प्रिय मित्र वैश्वानर के मन में ऐसी बुद्धि उत्पन्न हुई कि इस नन्दिवर्धन कुमार को रौद्रचित्त नगर में ले जाऊं और प्रयत्न कर दुष्टाभिसन्धि राजा को समझा कर उनकी पुत्री हिंसा का लग्न मेरे मित्र के साथ करवाएं। यदि इन दोनों का विवाह हो जाय तो मेरे सोचे हुए सब काम सिद्ध हो जायेगे। यह सोचकर उसने मुझ से कहा-'चलो हम रौद्रचित्त नगर चलते हैं।' मैंने कहा--'ठीक है चलेंगे, परन्तु कनकशेखर आदि को साथ लेकर चलेंगे।' वैश्वनर ने कहा-'कुमार! वे इस नगर में प्रवेश नहीं कर सकेंगे, क्योंकि रौद्रचित्त नगर अन्तरंग का नगर है, अतः वहाँ तू तेरे सगे सम्बन्धियों से रहित होकर अकेला ही मेरे सहयोग से प्रवेश कर सकता है, उसके यह वचन मैंने सुने । उसके वचन मेरे लिये अनुल्लंघनीय थे, क्योंकि उसका मेरे प्रति प्रगाढ स्नेह होने से, अज्ञान में डूबी हुई चित्त की विकलता से, यह मेरा वास्तविक शत्रु है इसका विचार/ज्ञान न होने से, स्वयं की आत्मा के हिताहित की दृष्टि न होने से और आगामी काल में होने वाली अनर्थ-परम्परा से अज्ञात होने के कारण हे अगृहीत. संकेता ! मैं मेरे मित्र वैश्वानर के साथ रौद्रचित्त नगर गया। वहाँ के राजा दुष्टाभिसन्धि को मैंने देखा । मेरे मित्र ने राजा से उनकी कन्या हिंसा के साथ मेरे विवाह की बात की और हम दोनों का विवाह सम्पन्न हुआ। लग्न के योग्य सभी क्रियाओं को वहाँ किया गया। वैश्वानर की शिक्षा
___ इस प्रकार दृष्टाभिसन्धि राजा ने अपनी पुत्री का विवाह मेरे साथ कर मुझे विदाई दी। वैश्वानर और हिंसा को साथ लेकर मैं वहाँ से चलकर कनकशेखर
और अपनी सेना के पास वापस आया। रास्ते में प्रसन्न होकर वैश्वानर मुझ से बातचीत करने लगा।
श्वानर-मित्र नंदिर्वधैवन ! अाज मैं सचमुच भाग्यशाली हूँ। नन्दिवर्धन-वह किस प्रकार ?
वैश्वानर-तूने इस हिंसा देवी से शादी की यह बहुत अच्छा हुआ । अब मेरी एक ही प्रार्थना है कि तू इस प्रकार व्यवहार कर कि जिससे वह तेरे प्रति अत्यधिक अनुरागवती बन जाय ।
__ नन्दिवर्धन-यह मेरे प्रति अधिक अनुरक्त रहे इसका क्या उपाय है ?
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