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________________ २८६ उपमिति-भव-प्रपंच कथा आश्चर्य एवं आपके उपरोक्त कथन में किंचित् भी संदेह नहीं हो सकता ; क्योंकि निरुपक्रम कर्मों का परिणाम ऐसा ही विस्मयकारी होता है। हमारे महाराजा भी आपश्री के चरणकमलों के प्रभाव से इस सम्बन्ध में निर्मल-बुद्धि वाले और निपुण होते जा रहे हैं, अब इन्होंने भी इस विषय में समझना प्रारम्भ कर दिया है, इसलिये उन्होंने आपके साथ उपरोक्त प्रश्न-चर्चा की है। बाल का भविष्य शत्रमर्दन मेरे बुद्धिमान मन्त्री ! आपने अवसर के योग्य सत्य कहा। पुनः प्राचार्यदेव को सम्बोधित कर राजा ने कहा -- भगवन् ! इस बाल की अंतिम दशा क्या होगी? यह बताने की कृपा करें। प्राचार्य - तुन्हारे क्रोध के परिणामस्वरूप भयातिरेक से ग्रस्त मन वाला यह बाल अभी निश्चल होकर बैठा है, पर जैसे ही तुम यहाँ से प्रस्थान करोगे यह अपने असली स्वरूप में आ जायगा। फिर स्पर्शन और अकुशमाला उसे अपनी अधीनता में कर लेंगे। फिर तुम्हारे भय से अन्य प्रदेश में जाने के विचार से दौड़ता हुआ, अनेक प्रकार के घोर क्लेश सहता हुआ यह कोल्लाक सन्निवेश गांव में पहुंचेगा । कूर्मपूरक * गांव के समीप पहुंचकर थकान से उसे बहुत जोर की प्यास लगेगी और उसे दूरी पर एक बड़ासा तालाब दिखाई देगा । वह पानी पीने और नहाने के लिये उस तालाब की तरफ जायगा। उसी समय बाल के पहुँचने के पूर्व ही एक चाण्डाल और उसकी स्त्री भी वहाँ पहुँच जायेंगे । चाण्डाल तालाब के किनारे के वृक्ष पर पक्षियों के शिकार के लिये चढेगा और चाण्डालिन यह सोचकर कि यहाँ विजन में कोई नहीं है अतः नहाने के लिये निर्वस्त्र होकर तालाब में उतरेगी। उसी समय बाल तालाब पर पहुंचेगा । उसे देखकर चांडालिन सोचेगो कि 'यह तो कोई स्पर्श्य (सवर्ण) वर्ग का पुरुष दिखता है, मुझ अछत को सरोवर में देखकर यह अवश्य झगड़ा करेगा।' इस भय से पानी में डुबकी लगाकर वह कमलों के झुण्ड के पीछे छिप जायेगी । बाल भी नहाने के लिये तालाब में उतरेगा और संयोग से चाण्डालिन की ओर ही जायेगा। अनायास ही उसके अंगों का स्पर्श हो जाएगा। अंगस्पर्श होते ही बाल की कामाग्नि भभक उठेगी और लम्पटता के कारण उस चाण्डाल स्त्री के यह जता देने पर भी कि वह अछत है, बाल बलपूर्वक उसके साथ बलात्कार करेगा । उस समय जब वह चाण्डाल स्त्री हल्ला मचायेगी तब चाण्डाल गुस्से में उस तरफ दौड़ेगा और दूर से ही अपनी स्त्री और बाल को उस अवस्था में देखेगा। उस समय चाण्डाल की क्रोधग्मि भड़केगी और धनुष पर बाण चढाकर उसे ललकारेगा, 'अरे अधम पुरुष ! दुरात्मन् ! तेरा पौरुष बता, ऐसा घृणित कार्य करते तुझे लज्जा नहीं आई ?' इस प्रकार ललकारते हुए चाण्डाल बाण मारेगा । उसे देखकर ही बाल कांपने लगेगा और एक ही बाण से उसके प्रारण * पृष्ठ २११ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001725
Book TitleUpmiti Bhav Prakasha Katha Part 1 and 2
Original Sutra AuthorSiddharshi Gani
AuthorVinaysagar
PublisherRajasthan Prakrit Bharti Sansthan Jaipur
Publication Year1985
Total Pages1222
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size23 MB
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