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प्रस्ताव : १ पीठबन्ध
का सम्यक प्रकार से संचालन करते हैं। इन्हें समस्त दृष्टियों से योग्य समझकर प्राचार्य इनकी गणचिन्तक पद पर नियुक्ति करते हैं। अतएव इनके लिए नियुक्तक पद का प्रयोग सर्वथा समुचित है । राजमन्दिर के तलगिक
__ पहले कह चुके हैं ... 'स्वामी पर अत्यन्त श्रद्धा और प्रीति रखने वाले, विशिष्ट बलवान और वास्तविक सूझबूझ वाले अनेक तलवर्गिक (कोतवाल) कार्यकर्ता वहाँ रहते थे।' इन तलवर्गिकों को जैनेन्द्र शासन भवन में सामान्य साधु समझे। जो आचार्य के आदेशों का सावधानी पूर्वक सम्पादन (पालन) करते हैं, उपाध्याय की आज्ञा का पालन करते हैं, गीतार्थ-वृषभों का विनय करते हैं, गणचिन्तक द्वारा प्रयुक्त मर्यादा का लंघन नहीं करते, गच्छ, कुल, गण और संघ के प्रयोजनों में पूर्णरूप से स्वयं को नियोजित कर देते हैं, इन गच्छ, कुल, गण, संघादि पर किसी प्रकार की विपदा पा पड़े तो स्वयं के प्राणों का मोह किये बिना ही उस विपदा को दूर करने में प्रयत्नशील रहते हैं और जो शूरता, भक्ति एवं विनीत स्वभाव से ओतप्रोत होते हैं । अतएव सामान्य साधु को जो यहाँ तलवगिक कहा गया है, वह यथोचित है।
इस प्रकार मौनीन्द्र शासन को राजभवन के समान कहा गया है। इस शासन में प्राचार्यदेव की आज्ञानुसार उपाध्याय उसका चिन्तन करते हैं, गीतार्थ-वृषभ उसका रक्षण करते हैं, गणचिन्तक उसकी पुष्टि करते हैं और साधुगरण चिन्ता रहित होकर उस निणीत मार्ग का अनुसरण करते हैं। इस प्रकार यह शासन मन्दिर भी राजमन्दिर के राजादि के समान प्राचार्यादि से अधिष्टित (व्याप्त) है ।
मन्दिर में वृद्धाएँ
कथा-प्रसंग में पहले कह चुके हैं कि--'राजमन्दिर में अनेक वृद्ध स्त्रियाँ भी रहती थीं, जिन्होंने विषयों का सर्वदा त्याग कर दिया था और जो मदोन्मत्त युवतियों को अंकुश में रखने में समर्थ थीं।' सर्वज्ञ शासन में इसकी योजना इस प्रकार है: -- स्थविरा को यहाँ आर्या (साध्वियाँ) समझे । * स्थविराओं के लिए दो विशेषणों का प्रयोग किया गया है, वे दोनों ही विशेषण साध्वीवर्ग के लिए युक्तिसंगत हैं । ये आर्याएँ स्वयं का शिष्य वर्ग (साध्वी वर्ग) और श्रमणोपासक वर्ग की पत्नियाँ अर्थात् श्राविकाएँ जब प्रमाद के कारण धर्मकार्यों में आलस्य करती हैं तब वे परोपकार करने का स्वभाव होने के कारण तथा भगवन्तों द्वारा आगमों में प्ररूपित स्वधर्मीवात्सल्य को महानिर्जरा का कारण जानकर, उनको कर्तव्य मार्ग का स्मरण कराती हैं, अकरणीय कार्यों से रोकती हैं, शुभ कार्यों की
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