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________________ ४. चतुर्थ प्रस्ताव पात्र एवं स्थान- सूची १. रिपुदारण एवं शैलराज २. मृषावाद ३. नरसुन्दरी से लग्न ४. नरसुन्दरी का प्रेम व तिरस्कार ५. नरसुन्दरी द्वारा आत्महत्या ६. विचक्षण और जड़ विचक्षणाचार्य चरित्र, रसना - प्रबन्ध ७. रसना और लोलता ८. विमर्श और प्रकर्ष C. चित्तवृत्ति टवी १०. भौताचार्य कथा ११. वेल्लहल कुमार कथा १२. महामूढता, मिथ्यादर्शन, कुदृष्टि १३. रागकेसरी और द्वेषगजेन्द्र १४. मकरध्वज १५. पाँच मनुष्य १६. सोलह बालक १७. महामोह के सामन्त १८. महामोह के मित्र राजा १६. महामोह - सैन्य के विजेता २०. भवचक्र नगर के मार्ग पर २१. वसन्तराज और लोलाक्ष २२. लोलाक्ष २३. रिपुकम्पन २४. महेश्वर और धनगर्व २५. रमण और गणिका २६. विवेक पर्वत से अवलोकन २७. चार उप-नगर २८. सात पिशाचिनें २६. राक्षसी दौर और निर्वृत्ति ३०. छः अवान्तर मण्डल (छः दर्शन ) ३१. षट् - दर्शनों के निर्वृत्ति-मार्ग Jain Education International ४५१-६५१ For Private & Personal Use Only ४०३-४६० ४०४-४११ ४१२-४१७ ४१७-४२६ ४२७-४३५ ४३५-४३६ ४३६-४४७ ४४७-४५३ ४५१-४५३ ४५३-४६४ ४६४–४७३ ४७३-४७६ ४७६-४८३ ४८३-४६७ ४६७-५०७ ५०७-५०६ ५०६-५१२ ५१२-५१५ ५१५-५१७ ५१८-५२० ५२१-५२६ ५२६-५३२ ५३२-५३७ ५३७-५४८ ५४८-५५२ ५५२-५५८ ५५६-५६३ ५६४-५६८ ५६६-५७८ ५७८-५८३ ५८३-५६४ ५६४-५६६ ६००-६०३ ६०३-६०६ www.jainelibrary.org
SR No.001725
Book TitleUpmiti Bhav Prakasha Katha Part 1 and 2
Original Sutra AuthorSiddharshi Gani
AuthorVinaysagar
PublisherRajasthan Prakrit Bharti Sansthan Jaipur
Publication Year1985
Total Pages1222
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size23 MB
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