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________________ ॥ कल्याणकलिका. खं० २ ॥ । शिलान्यास ॥ AD a था खात करीने कूर्म. तेमज दिशा-विदिशामां स्थापनीय शिलाओनो विन्यास करवानी परिपाटी प्रचलित थई चुकी हती जे आज पर्यन्त ते प्रमाणे चाले छे. पण गृहवास्तुना शिलान्यासमां अटलुं बधुं खोदवानु के अटला उंडाणमां शिलान्यास करवानी आवश्यकता नथी, गृहबास्तुनी भूमिशुद्धि पुरुष प्रमाण भूमि खोदीने करवानुं विधान छे अने अटला नीचाणमा ज शिलान्यास करवो जोइये, कदाच भूमिमां अधिक नीचे सुधी शल्य होइ तेना उद्धार निमित्ते खात वधु उडु थइ गयु होय तो ते शुद्ध माटी के पथथर आदिथी पूरीने चतुर्थांश जेटलं भरवानू बाकी रहे त्यारे शिलान्यास करवो अबुं विधान पण दृष्टिगोचर थाय छे.+ शिलान्यासमां वास्तुना मर्मो टाळवा - देवालयना वास्तुना मानमां तेनी भीत सामेल गणाय छे, आथी देवगृहना शिलान्यासमा मर्मनी विशेष चिन्ता करवा जेवू रहे छे, ज्यारे गृह वास्तुनुं माप भींतोनी अन्दरना भूमि भागनुं कराय छे, छतां शिलान्यासमां गृहवास्तुने अंगे पण अनो विचार तो करवो ज जोइये. वास्तुभूमिना ६४ अथवा ८१ समान भागो करी रज्जुओ, वंशो अने महावंशोना संपातस्थानो निश्चित करीने शिलान्यास करवो के जेथी मर्म, उपमर्मादिनो शिला बडे वेध न थाय, आ प्रथम विषयनी विशेष चर्चा प्रकरणान्तरमा करेली होइ त्यांथी अ विषय समजी लेवो जोइये. शिलाओनो ढाळ कइ तरफ ? - शिलान्यासमा शिलाओ कइ दिशामां ढळती (सहेज नीची) राखवी ते पण शिल्पीओ प्रथमथी ज निश्चित करीने पछी न्यास करबो, केमके अकवार विधिपूर्वक स्थापित कर्या पछी शिलाने चलायमान करवी ते अशुभफलदायक छे. शिलानो झुकाव (ढाळ) पूर्व अथवा उत्तर दिशा तरफ राखवो शुभ गणाय छ, वास्तुनुं द्वार पूर्व तरफ होय तो शिलानो ढाल पूर्वमा अने उत्तरमां होय तो उत्तरमा राखबो. वास्तुनुं द्वार पश्चिममां होय तो शिलानो ढाल उत्तरमा अने दक्षिणमां होय तो पूर्वमा राखवो + पुरुषांजलिमात्रे तत्, खाते वाऽखिलधामसु । पादावशिष्टे खाते वा, विन्यसेत्प्रधमेष्टिकाम् ॥१॥ ॥ १६ ॥ Jain Education International For Private & Personal use only www.jainelibrary.org
SR No.001723
Book TitleKalyan Kalika Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay Gani
PublisherK V Shastra Sangrah Samiti Jalor
Publication Year1986
Total Pages660
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, Shilpvastu, & Muhurt
File Size11 MB
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