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________________ - काल ॥ कल्याणकलिका. खं० २॥ । प्रस्तावना ।। त्रीजो खंडकलिकानो बीजो खंड प्रतिष्ठोपयुक्त चैत्यवन्दनो, स्तुतिओ, स्तवो, स्मरणो अने सामग्रीसूचिओनो बनेलो छे एटले ए विषयमा | बहु कहेवा जेवू नथी, मात्र स्मरणो, मंत्रो तथा सामग्री सूचिओने अंगे बे शब्दो लखी ए विषयने पूरो करीशु. ____ आजकाल आपणा गच्छमां प्रतिष्ठादि विधानोमां कुंभस्थापन थया पछी उवसग्गहर १ संतिकर २ तिजयपहुत्त ३ नमिऊण ४ अजितशान्ति ५ भक्तामर ६ अने बृहच्छान्ति ७ आ सात स्मरण-स्तोत्रोनो त्रिकाल पाठ करवानी परम्परा चाले छे जे बहु जुनी नथी, बसो वर्षथी चालती होय तो भले, ते पहेलानी विधिओमां उभयकाल स्तोत्रपाठ करवाना लेखो मले छे, पण एय घणा जुना नहिं, चोरसो पांचसो वर्ष पहेलानी विधिओ अने प्रतिष्ठाकल्पोमां मात्र जिन बिंब गादीए बेसाड्या पछी लघुशांति १ बृहच्छांति २ अजितशांति ३ तिजयपहुत्त ४ नमिऊण ५ उवसग्गहर ६ समवसरण स्तव ७ आ सात स्मरणो गणवानो आदेश छे, पण आजे कुंभ स्थाप्या पछी रोज त्रिकाल गणवानी पद्धति छे एथी अमे पण त्रिकाल गणावीये छीये अने क्रम पण आजना क्रमने मलतो ज छे मात्र भक्तामर बाद करी तेना बदलामा लघुशांति दाखल करी छे अने क्रम जे क्रमे स्तोत्र-स्मरणो छपायां छे तेज क्रमे गणवानां छे समवसरण स्तव नित्य गणवानुं नथी पण भगवान प्रतिष्ठित थया पछी गणाता स्मरणोने अंते एक वार ज ए गणवानुं छे. आ परिच्छेदमां आपेल प्रतिष्ठोपयोगी मंत्रो विधिकारोना अभ्यासार्थे छे, तिजयपहुत्तना कल्पो आप्या छे ते मात्र आकस्मिक उपद्रवादिनी घटना प्रसंगे उपयोगमा लेवा माटे छे आ अम्नायो अमे स्पष्ट नथी कर्यां, कारण के आवी वस्तु अस्पष्ट रहेवामां ज गुण छे, जे एना अनुभवी हशे ते स्वयं उपयोग करी शकशे. प्रतिष्ठादिनी सामान सूचिओ अमोए अमारी पद्धतिने अनुसरीने आपेली छे, द्रव्य क्षेत्रादिने जोड़ विधिकारो शक्य न्यूनाधिक्य करी For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.001723
Book TitleKalyan Kalika Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay Gani
PublisherK V Shastra Sangrah Samiti Jalor
Publication Year1986
Total Pages660
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, Shilpvastu, & Muhurt
File Size11 MB
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