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।। कल्याण
कलिका. खं० २॥
। प्रस्तावना ।।
बान Atha का शाल
एज हतुं के तीर्थो प्राय देवताधिष्ठित होइ त्यांनु जल सिद्धिकारी होय छे. नदीने कांठे हाथे करेल खाडाओ देवताधिष्ठित होता नथी | माटे तेवा खाडाओर्नु पूजन करवू निरर्थक छे.
२६-प्र० प्रतिष्ठा अंजनशलाकादिना विधानमा केटलां पाटलाओगें पूजन करवू जोइये ?
उ० अंजनशलाकामां नन्द्यावर्त सहित ४ अने प्रतिष्ठा पूजामां आजनी विधि प्रमाणे ३ पाटलाओनुं स्थापन कराय छे. २७-प्र. वर्तमानमा केटलाक विधिकारो बेवडा पाटला पूजावे छे ए बराबर छ ?
उ० बेवडा पाटला पूजवा माटे कोइ शास्त्राधार नथी, विधिकारोनी कल्पना मात्रथी एम करे छे, कुंभ-दीपक आदि बे ठेकाणे स्थपाय एनुं कारण तो ए वस्तुओ स्थावर होवानुं छे, गृहदिक्पालोनी स्थापन स्थिर स्थावर नथी, भगवान मंडपमां थी देहरामां गया पछी पाटला पण त्यां लइ जइ शकाय छे.
२८-प्र. अंजनशलाका कोण करावी शके ? ए संबन्धमा आचारदिनकर सिवाय बीजा कोइ ग्रन्थमा लेख छ के ?
उ० घणा खरा प्रतिष्ठाकल्पोमां लखे छे के आचार्यनो प्रतिष्ठामंत्र सूरिमंत्र छे अने सामान्य साधु माटे 'वीरे वीरे' इत्यादि वर्धमान विद्या, जो सामान्य साधुने अंजन प्रतिष्ठानो अधिकार न होत तो तेने आश्रित प्रतिष्ठामंत्र न लखत.
२९-प्र. जिनमंदिरमा लोहधातु न वपराय आम केटलाक आचार्यो कहे छे ते बराबर छ ?
उ० देहरासर जे वर्तमान काले प्रायः पत्थरथी बंधाय छे तेनी लगभग हजार वर्षनी स्थिति होय छे, आवा चिर स्थायी कामोमां लोहना पाटडा, पाउ वगेरे न नाखवायूँ कहेवाय ते यौक्तिक छे, पत्थरनी अपेक्षाए लोहना पाटडानी स्थिति अत्यल्प होय छे, वली लोहना | पाउ कालान्तरे काटथी फूलाइ जइने पाटडा अथवा दासाओना छेडा फाडी नाखे छे तेथी ना पडाय छे, बाकी लोहने नीच धातु समजी
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