SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 528
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ।। कल्याण-I कलिका. खं. २॥ ॥ अष्टोत्तरी शतस्नात्र विधिः ॥ ।। ४५२ ॥ बहारनी डावा हाथ तरफनी शाखा उपर 'ॐ गंगायै नमः' जमणा हाथनी शाखा उपर “ॐ यमुनायै नमः" आ मंत्रो बोलीने जल, गंध, अक्षत, पुष्प, धूप, दीपक, नैवेद्य चढावबा पूर्वक ३ ३ वार बासक्षेप करीने प्रत्येक द्वारांगनी प्रतिष्ठा करवी. ते पछी द्वारमा प्रवेश करी बधी भींतोनी "ॐ अं अपवारिण्यै नमः" आ मंत्रबडे ३ ३ वार वासक्षेप करीने प्रतिष्ठा करवी. ते पछी शालाओना द्वारोनी उपर्युक्त द्वार प्रतिष्ठा विधिथी प्रतिष्ठा करवी. प्रत्येक थांभलाने पंचामृत छांटी "ॐ श्रीं शेषाय नमः ।" आ मंत्रे वासक्षेप करी प्रतिष्ठा करवी. पछी मध्यनी शालाओनां द्वारो, बहारना स्तंभो अने भींतोनी पूर्वोक्त विधिथी प्रतिष्ठा करीने तेमना मध्यमां नीचेनी भूमिनी 'ॐ | खें' मध्यदेवतायै नमः ।' आ मंत्र बडे ३ वार वासक्षेप करीने प्रतिष्ठा करवी. ते पछी ओरडाओमा “ॐ आँ श्रीँ गर्भश्रियै नमः ।" आ मंत्रद्वारा ३ ३ वार वासक्षेप करी ते प्रतिष्ठित करवा. ओरडाओना द्वारो, भींतो, स्तंभोनी प्रतिष्ठा पूर्वे कह्या प्रमाणे करवी. ते पछी रसोडानी "ॐ श्रीं अन्नपूर्णायै नमः । भण्डारघरमा - "ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः ।" शयन घरमां - "ॐ शों संवेशिन्यै नमः ।" उपरनी सर्व भूमिओमां - "ॐ आँ क्रो किरीटिन्यै नमः ।" अश्वशालामां - "ॐ रे रेवंताय नमः ।" कोठारमा - "ॐ श्री अन्नपूर्णायै नमः ।" जलघरमां - "ॐ वं वरुणाय नमः ।" देव पूजा घरमां – “ॐ ह्रीं नमः ।" हस्तिशालामां – “ॐ श्रीं श्रियै नमः ।" । गाय भैस बकरी वृषभ बांधवाना स्थानमा - "ॐ ही अडनडि किलिकिलि स्वाहा ।" ॥ ४५२ ॥ Jan Education International For Private & Personal use only www.jainelibrary.org
SR No.001723
Book TitleKalyan Kalika Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay Gani
PublisherK V Shastra Sangrah Samiti Jalor
Publication Year1986
Total Pages660
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, Shilpvastu, & Muhurt
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy