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इति पंचमं पर्व. इति श्री शान्तिवादिवेतालीय अर्हदभिषेक विधिः संपूर्ण ।
। अष्टोत्तरी
॥ कल्याणकलिका. खं० २ ॥
शतस्नात्र विधिः ॥
॥ ४३० ॥
२० अष्टोत्तरी शतस्नात्र विधिः -
(ओगणीसमा सैकाना पूर्वार्धमां चालती) उपकरण
(१) प्रतिमा ४ पंचतीर्थी-आदिनाथ-अजितनाथ-शान्तिनाथ-पार्श्वनाथनी (२) १०८ निवाणनां जल, (३) सेवंतरा पुष्प ४३२, (४) पंचवर्णा फूल सेर ५, (५) सेवनना पाटला २, (६) रूपादिकना कलश ४, (७) बीजा पाटला १२ (८) माटली मण १। नी चोखी, (९) धोयेल अंगलूहणां ४, (१०) कुंभ कोरा २, (११) त्रांबाकुंडी १, (१२) अगरबती सेर १, (१३) श्रीफल पाणींचा. ९, | (१४) कमल वरणुं गज ११, (१५)केसर टांक २ तथा ४, (१६) बरास टांक ४, (१७) दीवनां नालियेर १०८, (१८) साकरना गांगडा १०८, (१९) सोपारी १०८, (२०) लविंग १०८, (२१) सींघोडा १०८, (२२) श्रीफल १०८, (२३) बदाम १०८, (२४) एलची डोडा १०८, (२५) द्राक्ष १०८, (२६) खारेक १०८, (२७) पान १०८, (२८) बीजां फल यथाशक्ति आणवां, (२९) दोकडा (अधेला) २७, (३०) खाजां १०८, (३१) सूखड 'चंदन' (३२) चौखा शेर २०, (३३) अखंड पैसा ४, (३४) डाभ समूलो. (३५) बलिबाकुल-जवार चणा-गेहुं सेर ५, (३६)लापसी पुडला नैवेद्य, (३७) पक्वान्न-धान-शाक रांधेल, (३८) वास टांक २, (३९) पंचामृत - दुध, दहि, घृत, साकर, गोल, (४०) आरती १, (४१) मंगल दीवो १, (४२) धूपधाणां २, (४३) पीतलनी वाढी २, (४४)
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|| ४३० ।।
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