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________________ ॥ कल्याणकलिका. सं० २ ॥ ।। ३९७ ।। Jain Education International ॐ नागाय सायुधाय सवाहनाय सपरिकराय इह ध्वजारोपणविधौ आगच्छ आगच्छ स्वाहा ||९|| ॐ ब्रह्मणे सायुधाय सवाहनाय सपरिकराय इह ध्वजारोपणविधौ आगच्छ आगच्छ स्वाहा ||१०|| उपर प्रमाणे एक एक ग्रहनुं आह्वान करी पूर्व आदि एक एक दिशामां जलनो चुलुक, सुगन्धनो छांटो, पुष्प अने बलि निक्षेप करवो. पछी लग्न समय आवतां दण्ड उपरनुं वस्त्र दूर करी सूरिमंत्र वडे मंत्रीने अथवा “ॐ वीरे वीरे जयवीरे सेणवीरे महावीरे जये विजये जयन्ते अपराजिते ॐ ह्रीँ स्वाहा । 11 आ प्रतिष्ठा मंत्र ७ वार भणीने वासक्षेप करी दण्ड अने ध्वजानी प्रतिष्ठा करवी. जो बिंबप्रतिष्ठानी साथै ज ध्वजदण्डनी प्रतिष्ठा होय तो बिम्ब अधिवासना साथे दण्डीनी अधिवासना तथा बिंबना अंजन विधाननी साथे दंड प्रतिष्ठाविधान करी लेबुं ध्वजदण्ड उपर प्रतिष्ठानो वासक्षेप कर्यापछी नीचे प्रमाणे चैत्यवंदना करवी इर्यावही पडिक्कमीने मूलनाकनुं चैत्यवंदन अथवा “ॐ नमः पार्श्वनाथाय " आ चैत्यवंदन कही नमुत्थुणं० अरिहंत० करेमि का० वंदण० अन्नत्थ०, १ नव०, नमो० स्तुतिः अर्हस्तनोतु स श्रेयः श्रियं यद्धयानतो नरैः । अप्यैन्द्री सकलाऽत्रैहि, रंहसा सहसौच्यत ॥ १ ॥ लोगस्स०, सव्वलोए० अरिहंत चेइआनं०, वंदण०, अन्नत्थ०, १ नव० स्तुतिः ओमितिमन्ता यच्छासनस्य नन्ता सदा यदङ्घ्रिश्च । आश्रियते श्रिया ते, भवतो भवतो जिनाः पान्तु || २ || पुक्खर०, सुअस्स भ०, वंदणवत्ति०, अन्नत्थ०, १ नव०, स्तुतिः For Private & Personal Use Only - - - - ॥ ध्वजदण्ड प्रतिष्ठा ॥ ।। ३९७ ।। www.jainelibrary.org
SR No.001723
Book TitleKalyan Kalika Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay Gani
PublisherK V Shastra Sangrah Samiti Jalor
Publication Year1986
Total Pages660
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, Shilpvastu, & Muhurt
File Size11 MB
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