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________________ || ध्वज ॥ कल्याणकलिका. खं०२॥ के प्रतिष्ठा ॥ जह जम्बुस्स पइट्ठा, जम्बुद्दीवस्स मज्झयारंमि । आचंदसूरिअं तह, होउ इमा सुप्पइट्ठत्ति ॥४॥ जह लवणस्स पइट्ठा, समत्थउदहीण मज्झयारंमि । आचंदसूरिअं तह, होउ इमा सुप्पइट्ठत्ति ॥५॥ गाथाओ भणीने प्रतिष्ठाचार्य तथा सकल संघ अक्षताञ्जलि कलश उपर नाखी कलशने वधावे, श्रावक पण पुष्पांजलि कलश उपर चढावीने बधावे, पछी प्रतिष्ठागुरुए कलश प्रतिष्ठा विषयक धर्मदेषना करवी. सूचना-कलश प्रतिष्ठा जो बिम्ब प्रतिष्ठानी साथे ज होय तो बिम्बना अंजन विधानना समयमां कलश प्रतिष्ठा पण करवी, अने बिम्ब स्थापनाना समयमां कलश पण शिखर उपर पंचरत्न न्यासपूर्वक स्थापन करवो. अने केवल कलशनी ज प्रतिष्ठा होय तो अधिवासना अने प्रतिष्ठानां प्रारंभिक कार्यो थया पछी शुभ लग्नमां शिखर उपर पंचरत्न स्थापन पूर्वक कलश स्थापीने प्रतिष्ठा मंत्र भणी वासक्षेप करी प्रतिष्ठित करवो. अथवा नीचे प्रतिष्ठा कर्या पछी बीजा शुभ समये शिखर उपर स्थापन करवामां आवे तो पण विहित छे. ॥ ३८६ ॥ १८ ध्वजदण्डप्रतिष्ठा - वंशादिकाष्ठजं ध्वज-दण्डं पूर्वं पवित्रयेत् । स्नानाविधिना पश्चात्, सुलग्ने संप्ररोपयेत् ।।१७।। वंशमय होय अथवा अन्य काष्ठमय ध्वजदंड होय, तेने पहेला विधिपूर्वक अभिषेक करावी शुद्ध करवो अने पछी शुभ लग्नमां शिखर उपर आरोपवो जोइये. ___ध्वज दण्डनी प्रतिष्ठाने माटे पण भूमिशुद्धि करी तेनो सुगन्ध जल पुष्पादि वडे सत्कार करवो. मंडपनी रचना करवी, दण्ड स्थापना | | योग्य पंचरत्न गर्भित वेदी बनावबी, नवांग वेदी बांधवी. जवारा बाबवा, पवित्र जलाशयथी जल लावबुं, अमारी घोषणा कराववी, संघने ॥ ३८६ ।। Jain Education International For Private & Personal use only www.jainelibrary.org
SR No.001723
Book TitleKalyan Kalika Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay Gani
PublisherK V Shastra Sangrah Samiti Jalor
Publication Year1986
Total Pages660
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, Shilpvastu, & Muhurt
File Size11 MB
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