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________________ ॥ कल्याणकलिका. खं० २॥ ॥ संक्षिप्त प्रतिष्ठा विधि । पूर्वोक्त प्रकारे अखंण्डित अंगोपांगवालो सदाचारी श्रावक सुगन्धि पंचामृतबडे प्रतिष्ठाप्य प्रतिमाने स्नान करावी, लग्न समयमा रूपानी बाटकीमा राखेल घृतमधुमां कालवेल काला सुरमामां सोनानी शली भरीने त्रण नवकार गणी प्रतिमाने अंजन करी नेत्रोन्मीलन करे. बादमां चन्दन केसर, फल नैवेद्यादि बडे संपूर्ण पूजा करे. अंग अग्रपूजा कर्या पछी भावपूजारूप चैत्यवंदन करे. पछी संघने पहेरामणी, प्रभावनादि दान करे, प्रतिष्ठा पछी ३१८।१० दिवस पर्यन्त विशेष उत्तम पूजा करवी. ॥ इति संक्षिप्त प्रतिष्ठा विधि ॥ ॥ मध्यकालीन अंजनशलाका विधि ॥ ॥ ३६३ ॥ लवण-जलाऽऽरात्रिकविधि आरति अने मंगलदीवो अरिहन्त भगवन्तने आगे चेताववो, पासे अग्निपात्र राखवू के जेमा लवण अने जल नाखवार्नु छ, लवणना न्हाना गांगडा पुष्प अने नालबानो जलनो कलशियो पण पासे तैयार राखबो. आरति तथा मंगलदीवाने उतारतां पहेला पुष्प चंदनादिके पूजवां, पछी - उवणेउ मंगलं वो, जिणाण मुहलालिजालसंवलिआ । तित्थपवत्तणसमए, तिअसमुक्का कुसुमबुट्ठी ॥१॥ आ गाथा भणीने प्रथम जिनने आगे त्रण वार सृष्टि क्रमे फेरवीने पुष्प वृष्टि करवी, पछी लवणनी काकरीओ रकेबीमा लेइने - उयह! पडिभग्गपसरं, पयाहिणं मुणिवई करेऊणं । पडइ सलोणत्तण-लजिअं व लोणं हुअवहंमि ॥२॥ आ गाथा बोलतां भगवंत उपर लवणने त्रण वार प्रदक्षिणावर्ते फेरवीने अग्निमां नाखवू, अने नालवाला कलशवडे प्रदक्षिणा मार्गे |al ॥ ३६३ ।। For Private & Personal Use Only Tww.iainelibrary.org Jain Education International
SR No.001723
Book TitleKalyan Kalika Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay Gani
PublisherK V Shastra Sangrah Samiti Jalor
Publication Year1986
Total Pages660
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, Shilpvastu, & Muhurt
File Size11 MB
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