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________________ மே || मध्यकालीन अंजनशलाका विधि ॥ d थाना are GES थान ल || लोगस्स चिन्तबबो अने पारी नीचेनी स्तुति कहेवी - ॥ कल्याण | यदधिष्ठिताः प्रतिष्ठाः सर्वाः सर्वास्पदेषु नन्दन्ति । जैनबिम्बं सा विशतु, देवता सुप्रतिष्ठमिदम् ॥१॥ कलिका. । ए पछी अनुक्रमे श्रुतदेवता २, शान्तिदेवता २, क्षेत्रदेवता ४, शासनदेवता ५, समस्तवैयावृत्यकरोना कायोत्सर्गो करवा, अने एमनी खं० २॥ स्तुतिओ कहेवी, छेल्ली स्तुति कह्या पछी नवकारपूर्वक नमुत्थुणं. कही शान्तिस्तव (अजितशान्तिस्तब) भणवो अने उपर जयवीराय इत्यादि बोलवू. ते बाद अभिमंत्रित अक्षतोनी अंजलिओ भरीने मंगलगाथापाठपूर्वक चतुर्विध संघे अने आचार्ये अखंड अक्षतांजलिक्षेप ।। ३६२ ।। करवो, नमोऽर्हत्सिद्धाचार्यो• इत्यादि बोलीने नीचेनी मंगलगाथाओ भणवी - जह सिद्धाण पइट्ठा, तिलोअचूडामणिम्मि सिद्धिपए । आचंदसूरिअं तह, होउ इमा सुप्पइट्ठत्ति ॥॥ जह सग्गस्स पइट्ठा, समत्थलोयस्स मज्झयारंभि । आचंदसूरिअं तह, होउ इमा सुप्पइट्ठत्ति ।।२।। जह मेरुस्स पइट्ठा, दीवसमुद्दाण मज्झयारंमि । आचंदसूरिअं तह, होउ इमा सुप्पइट्ठत्ति ॥३॥ जह जंबुस्स पइट्ठा, समग्गदीवाण मज्झयारंभि । आचंदसूरिअं तह, होउ इमा सुप्पइठत्ति ॥४॥ जह लवणस्स पइट्ठा, समत्थउदहीण मज्झयारंभि । आचंदसूरिअं तह, होउ इमा सुप्पइट्ठत्ति ॥५॥ धम्माधम्मागासत्थि-कायमइयस्स सब्बलोगस्स । जह सासया पइट्ठा, एसावि अ होउ सुपइट्ठा ॥६॥ पंचण्ह वि सुपइट्ठा, परमिट्ठिणं जहा सुए भणिआ-नियया अणाइनिहणा, तह एसा होउ सुपइट्ठा ॥७॥ अक्षतांजलि अने श्रावकोए पुष्पांजलि नाख्या पछी, चैत्यवंदना करवी अने ते पछी आचार्ये प्रवचन मुद्राए धर्मदेशना करवी. इति | | प्रतिष्ठाविधि ॥ Gउक छोटा बार G SHशत || ३६२ ।। CH Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001723
Book TitleKalyan Kalika Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay Gani
PublisherK V Shastra Sangrah Samiti Jalor
Publication Year1986
Total Pages660
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, Shilpvastu, & Muhurt
File Size11 MB
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