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॥ मध्यकालीन अंजनशलाका विधि ।।
- इंद्रपुर देइ दिशाओमा "परविद्याः क्षः फुट" कोणोमां “परमंत्राः क्षः फुट्" तथा चार कोणोमां चार पूर्ण कलशो लखवा, तेनी | ।। कल्याण- बहार वायुमंडल आप, इति नन्द्यावर्त्त आलेखन विधि । कलिका.
अथ नन्द्यावर्त पूजन विधि – नन्द्यावर्तनी पूजा पोतपोताना नामोच्चारण पूर्वक आ प्रमाणे करवी-प्रथम वृत्तना मध्यभागे नंन्दावर्त खं०२ ॥
उपर प्रतिष्ठाप्य जिननुं आह्वान करी 'ॐ नमोऽर्हद्भ्यः' आ नाममंत्र बोली कर्पूरादि वडे पूजन करवू. देवना जमणा भागमां शकेंद्र तथा
श्रुतदेवतानी पूजा करवी अने डावा भागे ईशानेंद्र तथा शांतिदेवताने पूजवी. ॥ ३४३ ॥
बीजा वलयमा पूर्वादि दिशाओमां “ॐ नमः सिद्धेभ्यः, ॐ नम आचार्येभ्यः, ॐ नम उपाध्यायेभ्यः, ॐ नमः सर्वसाधुभ्यः" RT अने इशानादि विदिशाओमां “ॐ नमो ज्ञानेभ्यः, ॐ नमो दर्शनेभ्यः, ॐ नमश्चारित्रेभ्यः, ॐ नमः शुचिविद्यायै" आ प्रमाणे नाम
मंत्रो बोलीने पूजन करवू. म त्रीजा वृत्तमां-ॐ मरुदेवीए नमः । ॐ विजयाए नमः । ॐ सेणाए नमः । ॐ सिद्धत्थाए नमः । ॐ मंगलाए नमः । ॐ सुसीमाए
नमः । ॐ पुहवीए नमः । ॐ लक्खमणाए नमः । ॐ रामाए नमः । ॐ नंदाए नमः । ॐ विण्हुए नमः । ॐ जयाए नमः । ॐ सामाए नमः । ॐ सुजसाए नमः । ॐ सुन्वयाए नमः । ॐ अचिराए नमः । ॐ सिरीए नमः । ॐ देवीए नमः। ॐ पभावईए नमः। ॐ पउमावईए नमः । ॐ वप्पाए नमः । ॐ सिवाए नमः । ॐ वामाए नमः । ॐ तिसलाए नमः ।'
चतुर्थ वृत्तमा 'ॐ रोहिणीए नमः । ॐ पन्नत्तीए नमः । ॐ वज्जसिंखलाए नमः । ॐ वजंकुसीए नमः । ॐ अप्पडिचक्काए नमः। ॐ पुरिसदत्ताए नमः । ॐ कालीए नमः । ॐ महाकालीए नमः । ॐ गोरीए नमः । ॐ गंधारीए नमः । ॐ सव्वत्थमहाजालाए नमः । ॐ माणवीए नमः । ॐ वहरुट्टाए नमः । ॐ अच्छुत्ताए नमः । ॐ माणसीए नमः । ॐ महामाणसीए नमः ।'
बा
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