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________________ ॥ कल्याण कलिका. खं० २ ॥ ॥ श्री पादलिप्तरिप्रणीतः प्रतिष्ठाविधिः ॥ आरीसो) एवी रीते गोठवबो के लेपमय प्रतिमा तेमां प्रतिबिंबित थई जाय, दर्पणमा प्रतिबिंबित प्रतिमा उपर पूर्वोक्त विधिथी सर्व अभिषेक करवा अने चंदनना छांटा नाखवा, तथा चंदनविलेपनादि कर. बाकीनी 'अधिवासनानो वासक्षेप, प्रतिष्ठानो वासक्षेप, मुद्रापूर्वक सौभाग्यादि मंत्रोनो न्यास' आदि तमाम क्रियाओ मूल लेपमय प्रतिमाओ उपर करवी. चित्रित तीर्थपट्ट, चित्रप्रतिमा, के चित्रितयंत्रपट्टोनी प्रतिष्ठा विधि पण लेपमय प्रतिमानी जेम ज आरीसामा प्रतिबिंब लेइने करवी. अभिषेक, चन्दनविलेपनादि प्रतिबिंब उपर अने वासनिक्षेपादिक मूल वस्तु उपर करवा. इति लेपप्रतिमा प्रतिष्ठाविधि । सरस्वत्यादि प्रतिमा प्रतिष्ठा - पूर्वनी जेम मंडलादिक कार्यों करीने पोत पोताना मंत्रवडे सरस्वती आदि प्रतिमाओनी प्रतिष्ठा करवी. सरस्वत्यादिसमस्तवैयावृत्तकर आदिनो अधिवासनामंत्र- 'ॐ V नमः" प्रतिष्ठामंत्र- “ॐ हाँ हूँ ही नमः ।" अने सौभाग्यमंत्रः - "ॐ जये श्री हूँ सुभद्रे इं स्वाहा ।" ए छे. विशेषविवरण नीचे प्रमाणे छ - (१) "ॐई ह्रीं श्री ही ई सरस्वति ! अवतर अवतर तिष्ठ तिष्ठ स्वाहा ।" (२) “ॐ हीं मणिभद्रयक्ष ! अवतर अवतर तिष्ठ तिष्ठ स्वाहा ।" (३) "ॐ ही वं ब्रह्मशान्ते ! अबतर अवतर तिष्ठ तिष्ठ स्वाहा ।" (४) "ॐ ह्रीँ अं अम्बिके ! अबतर अवतर तिष्ठ तिष्ठ स्वाहा ।" प्रतिष्ठाकारकनी जवाबदारी - For Private & Personal Use Only ॥ ३३१॥ Jan Education international www.jainelibrary.org
SR No.001723
Book TitleKalyan Kalika Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay Gani
PublisherK V Shastra Sangrah Samiti Jalor
Publication Year1986
Total Pages660
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, Shilpvastu, & Muhurt
File Size11 MB
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