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। कल्याणकलिका. खं० २॥
an श्री पादलिप्तसूरिप्रणीतः प्रतिष्ठाविधिः ॥
॥ ३२६ ॥
गाथाओ बोलवी.
जह सिद्धाण पइठा, तिलोय चूडामणिम्मि सिद्धिपए । आचंदसूरियं तह, होइ इमा सुप्पइट्ठत्ति ॥१॥ गेविज्जगकप्पाणं, सुपइट्ठा वण्णिया जहा समए । आचंदसूरियं तह, होइ इमा सुप्पइट्ठत्ति ॥२॥ जह मेरूस्स पइट्ठा, असेससेलाण मज्झयारम्मि । आचंदसूरियं तह, होइ इमा सुप्पइट्ठत्ति ॥३॥ कुलपव्वयाण वक्खार-बट्टवेयट्टदीहियाणं च । कूडाण जमग-कंचण-चित्त-विचित्ताइयाणं च ॥४॥ अंजणग-रुयग-कुंडल-माणुस-इसुयारमाझ्याणं च । सेलाण जह पइट्ठा, तह एसा होइ सुपइट्टा ॥५॥ जह लवणस्स पइट्ठा, असेसजलहीण मज्झयारम्मि । आचंदसूरियं तह, होइ इमा सुप्पइट्ठत्ति ॥६॥ कुंडाण दहाणं तह, महानईणं च जह य सुपइट्ठा । आकालिगी तहेसा, वि होउ निच्चं तु सुपइट्ठा ।।७। जंबुद्दीवाईणं, दीव समुद्दाण सबकालंभि । जह एयाण पइट्ठा, सुपइट्ठा होउ तह एसा ॥८॥ धम्मा धम्मागासत्थि-कायमइयस्स सब्बलोयस्स । जह सासया पइट्ठा, एसा वि तहेव सुपइट्ठा ॥९॥ पंचण्ह वि सुपइट्ठा, परमिट्ठीणं जहा सुए भणिया । नियया अणाइनिहणा, तह एसा होउ सुपइट्ठा ॥१०॥ तह पवयणस्स गमभंग-हेउ-नय-नीइ कालकलियस्स । जह एयस्स पइट्ठा, निच्चा तह होउ एसा वि ॥११॥ तह संघ-नराहिव-जणवयाण रजस्स तह य ठाणस्स । गोट्ठीए सब्बकालंमि, सासया होउ सुपइट्ठा ॥१२।। इय एसा सुपइट्ठा, गुरुदेवजईहिं तह य भविएहिं । निउणं पुट्ठा संघेण, चेव कप्पट्ठिया होइ ॥१३॥
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