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॥ कल्याणकलिका. खं० २॥
| श्री पादलिप्तरिप्रणीतः प्रतिष्ठाविधिः ॥
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चित्रवां जोइये, छतां तेम बनवू अशक्य होय तो प्रत्येकनुं नाम मात्र लखीने काम चलावी लेवू, पण प्रत्येक वलयना कोष्ठकोमां के बहार | लखातां नामोनी साथे संख्यांक अवश्य लखबो के जेथी पूजन समये नंबरवार मंत्रोवड़े नंबरवार कोष्ठकोमा आवता आराध्यपदोनुं पूजन | सुगमताथी थइ शके.
नंद्यावर्तनी पूजन विधि पूर्वोक्त प्रकार नन्द्यावर्तन आलेखन करीने प्रसंग आवतां आवश्यक सामग्री जोडीने तेनुं पूजन करवू. नंद्यावर्त पूजननो मुख्य अधिकार प्रतिष्ठा गुरुनो छे, योग्य प्रतिष्ठा गुरुनो योग होय तो नन्यावर्त्तनुं पूजन तेमना हाथे ज करावq, प्रत्येक पदनो मंत्र बोली गुरु वासक्षेपवडे तेनुं पूजन करे, ते पछी स्नात्रकार श्रावक पुष्पाक्षतादि चढावे.
नन्द्यावर्तनी पूजा-सामग्री तरीके वासक्षेप, पुष्प, अक्षत, धूप, दीप, फल, नैवेद्य, ए पदार्थो मुख्य छे. कोइ ग्रंथमा मुद्रानो पण उल्लेख छ, आज काल केटलाक विधिकारो पैसा-टका पूजामां मूकावे पण छे. नंद्यावर्तना वलयोमा मुख्य देव पदो ११३ छे' एटले चढाववानां द्रव्योनी संख्या ते हिसाब राखवी, प्रथम वलयमां नन्द्यावर्त, वज्र, यव, अंकुश अने पुष्पमाला, आ मंगल चिह्नोनुं पूजन तेना मंत्रो बोलीने वासक्षेपथी कर, प्राकारगढ परिषत्रिलो, देवयुगलो, द्वारपालो, तोरणो, ध्वजो अने मंडलो पण वासक्षेप बडे पूजवां. प्रत्येक कोष्टकगत पदनो मंत्र बोलीने ते पछी ते पदनु पूजन करवू, प्रत्येक वलयना पूजामंत्रो नीचे प्रमाणे छे.
नन्द्यावर्त पूजनमंत्रो-प्रथम वलये ९ पदानि, ॐ नमोऽर्हद्भ्यः स्वाहा १, ॐ नमः सिद्धेभ्यः स्वाहा २, ॐ नम आचार्येभ्यः
१. प्रथम बलयमा अर्हदादि ९ अने इन्द्रादि ४, बीजामां जिनमाता २४ अने जयादि ८, त्रीजा वृत्तमा २४ लोकान्तिक, चोधामा १६ विद्यादेवी, पांचमामां इन्द्रादि ८, छट्ठामा दिशापाल १० ग्रह ९ अने क्षेत्रपाल १ कुल ११३ ।
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