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॥ कल्याणकलिका.
| श्री पादलिप्तरिप्रणीतः प्रतिष्ठाविधिः ॥
प्रतिष्ठा मंडपने रंगीन पुष्पमालाओ रेशमी वखना चंद्रवाओ तथा विविध रंगोमां रंगायेल सूत्राउ वस्त्रोना पडदाओ बडे शणगारखो, मंडपना शणगारमा कालारंगनां वस्त्रोनो उपयोग न करवो, तेमज तेना पडदाओमां उपसर्ग अथवा उपद्रवोनां भयजनक दृश्यो न बतावां. तीर्थंकरोना कल्याणक प्रसंगो, प्रसंगने अनुरूप मंगलसूचक अने आहादजनक चित्रो अने प्रसिद्ध तीर्थस्थानोना चित्रपटो देखाडवा लाभदायक होय छे.
वेदीरचना मण्डप तैयार थवा आवे त्यारे तेना मध्यभागमा एक सुन्दर वेदी बनावबी. वेदीने अष्टमंगल आदिकनां शुभचित्रोथी सुशोभित बनाववी जोइये अने ते मंडपने अनुरूप परिमाणनी होवी जोइये, प्रतिष्ठाकल्पोमा १ नन्दा, २ सुनन्दा, ३ प्रबुद्धा, ४ सुप्रभा, ५ सुमंगला, ६ कुमुदमाला, ७ विमला, अने ८ पुण्डरीकिणी; आ नामोथी आठ प्रकारनी वेदियो, निरूपण कयु छे.
(१) एक हाथ चोरस अने चार आंगल उंची वेदीने 'नन्दा' कहे छे, (२) बे हाथ समचोरस अने आठ आंगल उंची होय ते वेदी 'सुनन्दा' नामथी ओलखाय छे, (३) त्रण हाथ समचोरस अने बार आंगल उंची वेदीनुं नाम 'प्रबुद्धा' कहेवाय छे. (४) चार हाथ समचोरस तेम सोल आंगल उंची होय ते वेदी 'सुप्रभा' ए नामधी ओलखाय छे. (५) पांच हाथ समचोरस अने वीश आंगल उंची वेदी 'सुमंगला' ए नामथी प्रतिष्ठाकल्पोमां प्रसिद्ध छे. (६) छ हाथ समचतुरस्र अने चोवीस आंगल उंची वेदीनुं नाम 'कुमुदमाला' छे. (७) सात हाथ समचोरस अने अठ्ठावीश आंगल ऊंची वेदी 'विमला' नामनी होय छे अने (८) आठ हाथ समचोरस अने बत्रीस आंगलनी उंचाईवाली वेदीनुं नाम 'पुण्डरीकिणी' होय छे. शुभ आय लाववा माटे वेदियोना उपर्युक्त मापमा एक एक आंगलनी वृद्धि करी शकाय छे.
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