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________________ ॥ तीर्थ ॥ कल्याणकलिका. खं० २॥ यात्राशान्तिकम् ॥ नमो स्तुति - यस्याः क्षेत्रं समाश्रित्य साधुभिः साध्यते क्रिया । सा क्षेत्रदेवता नित्यं भूयान्नः सुखदायिनी ॥१॥ भवनदेवतायै करेमि० का० अन्नत्थ, १ नव० नमो. स्तुति - ज्ञानादिगुणयुतानां, नित्यं स्वाध्यायसंयमरतानाम् । विदधातु भवनदेवी, शिवं सदा सर्वसाधूनाम् ॥२॥ शान्तिदेवतायै करेमि का० अन्नत्थ० १ लो० नमो० स्तुति - उन्मृष्टरिष्टदुष्ट-ग्रहगतिदुःस्वप्नदुर्निमित्तादि । संपादितहितसंपन्नामग्रहणं जयति शान्तेः ॥३॥ क्षुद्रोपद्रवशमावणी करेमि का० अन्नत्थ. १ नव० १ लो० १ उवसग्ग० ए त्रणनो काउसग्ग करी नमोऽर्हत् कही स्तुति-- सर्वे यक्षाम्बिकाया ये वैयावृत्यकरा जिने । क्षुद्रोपद्रवसंघातं, ते द्रुतं द्रावयन्तु नः ॥४॥ उपर १ नवकार पूर्ण कहेवो. ए पछी स्नात्रजल कलशोमां भरी, म्होटी त्रांबाकुंडीमा स्वस्तिक करी, बृहच्छान्तिनो अस्खलित पाठ बोलतां बे कलशो बड़े अखण्ड धाराथी त्रांबाकुंडीमां लेबु. शान्ति पूर्ण बोलाइ रहे त्यां सुधी धारा चालु राखवी. शान्तिपाठमां 'श्रीब्रह्म लोकस्य शान्तिर्भवतु' ए पछी श्री संघनायक अमुक (संघपतिनुं नाम होय तो बोलवू') स्य शान्तिर्भवतु, श्रीसंघजनस्य शान्तिर्भवतु आटलो पाठ वधारे बोलवो. शान्ति पाठ चोलीने कुंडीमां लीधेल जल मस्तके लगाडवू. ए पछी क्षीर, करंचो, बाट, पंचधारी लापसी, वडा, सुंहाली २१ मगदना लाडु २०, दहि पाब ए सर्व एक थालमां मूकी प्रभु आगल ढोवा, पछी संघ मलीने संघवीने तिलक करे. संघपति पण संघ- सन्मानसाधर्मिक वात्सल्यादिक करे. Jain Education International For Private Personal use only www.jainelibrary.org
SR No.001723
Book TitleKalyan Kalika Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay Gani
PublisherK V Shastra Sangrah Samiti Jalor
Publication Year1986
Total Pages660
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, Shilpvastu, & Muhurt
File Size11 MB
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