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________________ ॥ कल्याणकलिका. खं० २॥ शत स्नात्र विधि ॥ ॥ २२० । आ मंत्रे मंत्री सर्व स्नात्रियाने हाथे बांधवी, एज मंत्रथी मिंढल मरडासिंगी पण मंत्रवी. ___पछी मंत्रपूर्वक अष्टप्रकारी पूजा करवी, पूजामंत्र “ॐ ह्रीँ श्रीँ परमपरमात्मने अनन्तानन्तज्ञानशक्तये जन्मजरामृत्युनिवारणाय श्रीमते जिनेन्द्राय जलं, चंदनं, पुष्पं, धूपं, दीपं, अक्षतं, नैवेद्यं, फलं ८ ताम्बूलं यजामहे स्वाहा ।" ___हवे वृद्ध श्रावक सोनवाणी करीने - "ॐ ह्रीँ श्री जीराउलापार्श्वनाथाय रक्षां कुरु २ स्वाहा" आ मंत्रे ७ वार मंत्रे, पछी ७ नोकार गणीने ते जल सर्वत्र छांटे। पछी वास अक्षत अने फूल लइ . "ॐ भूर्भुवः स्वधाय स्वाहा" आ मंत्र बोली ते बडे भूमि शुद्ध करे. भूमि शुद्ध करी त्यां पूर्व अथवा उत्तर मुख पीठ मांडी तेनी "ॐ ह्रीं अर्हत्पीठाय नमः । आ मंत्र ७ वार बोली वासाक्षते 3 पूजा करे. पछी -"ॐ नमोऽर्हतेपरमेश्वराय चतुर्मुखाय परमेष्ठिने दिकुमारीपरिपूजिताय देवाधिदेवाय त्रैलोक्यमहिताय अत्र पीठे तिष्ठ तिष्ठ स्वाहा ।" आ मंत्र वार ३ बोलीने शांतिनाथजीनी मूर्ति थापवी, एज प्रमाणे एकेकी प्रतिमा पंचतीर्थीनी स्थापवी, विहित प्रतिमा न होय तो बीजी जिनप्रतिमा नीचेना मंत्र वडे विहित कल्पबी, मंत्र आ प्रमाणे छे. "ॐ नमोऽर्हद्भ्यस्तीर्थंकरेभ्यो जिनेभ्योऽनाद्यनन्तेभ्यः समबलेभ्यः समकृतेभ्यः समप्रभावेभ्यः समकेवलेभ्यः समतत्त्वोपदेशेभ्यः | समपूजनेभ्यः समजल्पनेभ्यः सममत्वत्रतीर्थंकर नाम पंचदशकर्मभूमिभवस्तीर्थंकरोयोऽत्राराध्यते, सोऽत्र प्रतिमायां सन्निहितोऽस्तु" | आ मंत्रवडे जे तीर्थकरनी प्रतिमा आवश्यक होय तेनी कल्पना करवी, पछी कोरा सराबलामा सधवा स्त्रीनां हाथे गोघृत पूरावq, I ॥ २२० । Jain Education International For Private & Personal use only www.jainelibrary.org
SR No.001723
Book TitleKalyan Kalika Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay Gani
PublisherK V Shastra Sangrah Samiti Jalor
Publication Year1986
Total Pages660
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, Shilpvastu, & Muhurt
File Size11 MB
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