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________________ ॥ कल्याणकलिका. खं० २॥ J॥ अष्टोत्तरि शत स्नात्र विधि ॥ ॥ २१९ ॥ । अथ श्रीशान्तिस्नात्रविधिः । प्रतिष्ठामां अथवा यात्रामा क्षुद्रोपद्रव शान्त्यर्थं अट्ठाही उत्सवनी आदिमां शान्तिधारा करवी. शुभ दिवसे विधिपूर्वक जलयात्रा करवी, जलयात्रानी विधि प्रतिष्ठाविधिथी जाणी लेबी. मुहूर्तने दिवसे प्रभाते डाम प्रमुख लांछनरहित एवा जघन्यथी चार स्नात्रिया विधिपूर्वक स्नान करे, ते आ रीते - "ॐ हीं अमृते अमृतोद्भवे अमृतवर्षिणि अमृतं स्रावय स्रावय स्वाहा" । आ मंत्रथी ७ बार मंत्री जल शुद्धि करबी. ॐ ह्रीं यक्षाधिपतये नमः । आ मंत्रे ७ बार दातण मंत्रg. मंत्रित जलनी अंजलि भरी- "ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं कामदेवाधिपते ! ममेप्सितं पूरय २ स्वाहा" आ मंत्र ७ वार बोलीने मुख धोबु. पूर्व संमुख बेसी तैल मर्दन करीने-“ॐ ही अमले विमले विमलोद्भवे सर्वतीर्थजलोपमे पां पां वां वां अशुचिः शुचिर्भवामि स्वाहा ।" आ मंत्र ३ वार बोलीने हाथथी सर्वाङ्ग स्पर्श करे. नवां धोयेल शुद्ध वस्त्र हाथमा लइ-“ॐ ह्रीं आँ क्रौं नमः" आ मंत्रे ३ वार मंत्रीने पहेरवां. तिलकनु केसर हाथमा लइ-"ॐ आँ ह्रीं क्लौँ अर्हते नमः । आ मंत्रे ७ वार मंत्रीने केसरे तिलक करे. गेवासूत्रनो दडो लइ- “ॐ ह्रीँ अवतर २ सोमे २ कुरु २ वग्गु निवग्गु सुमणे सोमणसे महुमहुरे ॐ कवलिकः क्ष स्वाहाः" For Private & Personal Use Only ॥ २१९ ॥ www.iainelibrary.org Jain Education International
SR No.001723
Book TitleKalyan Kalika Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay Gani
PublisherK V Shastra Sangrah Samiti Jalor
Publication Year1986
Total Pages660
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, Shilpvastu, & Muhurt
File Size11 MB
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