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________________ ॥ कल्याणकलिका. | च खं० २॥ ॥ दशमाह्निके अञ्जनशलाकाप्रतिष्ठाविधि ॥ ॥ २०४ ॥ १ 'वद वदति न वाग्वादिनि' । २ 'उन्मृष्ट रिष्ट दुष्ट' । ३ 'यस्याः क्षेत्रं समाश्रित्य' । ४ 'उपसर्गवलयविलयन'। ५ 'संघेऽत्र ये गुरुगुणौघनिधे०' । ___ आ स्तुतिओ बोली १ नवकार प्रकट कही बेसीने नमुत्थुणं०, जावंति चेइआई०, खमा०, जावंत केवि साहू, नमोऽर्हत् कहीने, | स्तवनने स्थाने शान्ति (अजितशान्ति) कहेवी, अन्ते जयवीयराय कहीने देवबंदन पूरुं करवू, पछी प्रतिष्ठागुरुए तथा श्रीसंघे अक्षतोनी अंजलिओ भरवी अने गुरुए नमोऽर्हत् कही नीचेनी मंगल-गाथाओ उच्चस्वरे बोलवी - जह सिद्धाण पइट्ठा, तिलोअचूडामणिम्मि सिद्धिपए । आचंदसूरिअं तह, होउ इमा सुपइट्ठ त्ति ॥१॥ जह सग्गस्स पइट्ठा, समत्थलोगस्स मज्झयारम्मि । आचंदसूरिअं तह, होउ इमा सुपइट्ठ त्ति ॥२॥ जह मेरुस्स पइट्ठा, दीवसमुद्दाण मज्झयारम्मि । आचंदसूरिअं तह, होउ इमा सुपइट्ठ त्ति ॥३॥ जह जंबुस्स पइट्ठा, समग्गदीवाण मज्झयाम्मि । आचंदसूरिअं तह, होउ इमा सुपइट्ठ त्ति ॥४॥ जह लवणस्स पइट्ठा, समत्थउदहीण मज्झयारम्मि । आचंदसूरिअं तह, होउ इमा सुपइट्ठ त्ति ॥५॥ धम्माधम्मागास-त्थिकायमइअस्स सवलोगस्स । जह सासया पइट्ठा, एसा वि अ होउ सुपइट्ठा ॥६॥ पंचह्न वि सुपइट्ठा, परमिट्ठीणं जहा सुए भणिया । नियमा अणाइनिहणा, तह एसा होउ सुपइट्ठा ॥७॥ पछी बधाए अक्षतांजलि बिंब सामे उछालवी, श्रावकोए पुष्पांजलि पण नाखबी. ए पछी प्रतिष्ठागुरुए प्रवचन मुद्राए प्रतिष्ठाफलदर्शक देशना आपबी. ab ॥ २०४ ।। For Private Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.001723
Book TitleKalyan Kalika Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay Gani
PublisherK V Shastra Sangrah Samiti Jalor
Publication Year1986
Total Pages660
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, Shilpvastu, & Muhurt
File Size11 MB
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