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________________ ॥ नवमा ॥ कल्याणकलिका. खं० २॥ ह्रिके दीक्षाकल्याणकअधिवासना विधि ॥ ॥ १८८ | गोरोचन तथा कर्पूर वडे तैयार करेलो हस्तलेप सर्व जिन बिंबोना हाथोमा आपवो तथा सर्व पदार्थनी प्राप्ति सूचवनारां त्रणसो साठ 4 क्रयाणां जिनना हाथमां आपवां. ए पछी ग्रहोगें आह्वान करी तेमने बलिपात्र ढोवू अने तोरणो सहित चॉरी स्थापवी. चॉरीमां भद्रासन स्थापी ते उपर जिन प्रतिमाने | बेसाडवी, प्रतिमानी पासे सुवर्णनो कलश स्थापी चार मंगलदीवा स्थापवा, आगे नैवेद्य पात्रो धरीने चार खूणाओमा चार कंकण बांधेला श्वेत गाडवा स्थापवा अने वास चंदन पुष्पादिके वासित वस्त्र आरोपी मंत्रपूर्वक भोग सामग्री ढोकवी. ए पछी राज्यपदाधिरोहणना उत्सवमा राज्यतिलकादिक कराव_ अने पछी दीक्षाकल्याणकनी उजवणी युक्तिपूर्वक देखाडवी. अन्तमां चैत्यवंदन करी कायोत्सर्गो तथा स्तुतिओ द्वारा अधिवासनादि देवीओ- स्मरण कर. कृत्यविधि -- “ॐ नमो बंभीए लिवीए । ॐ हाँ हाँ परमअर्हते लेखकशालाकरणमिति स्वाहा ॥" | आ प्रमाणे मंत्रो भणीने निशालिआओने गोल-धाणा वहेंचवा, तथा लेखण, दवात, कागल, वगेरे भणवाना उपकरणो आपबां. | Ma ए पछी विवाह महोत्सव करवो. प्रतिष्टाकारक-श्राद्धे पोताना डाबा हाथे जिननो जमणो हाथ पकडी पोताना जमणा हाथे बिंबना सर्वांगे अभिमंत्रित घाटा चंदन केसर वडे विलेपन करवू, वली सर्व बिंबो प्रति फूल-धूप-वास मुकवां. प्रतिष्ठागुरुए सुरभि मुद्रा, पद्ममुद्रा अने अंजलिमुद्रा, ए त्रण मुद्राओ जिनबिंबने देखाडवी. "ॐ नमः शान्यते हुँ यूँ हूँ सः ॥" अथवा "ॐ नमो खीरासवलद्धीणं, ॐ नमो संभिन्नसोआणं, ॐ नमो ॥ १८८ ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001723
Book TitleKalyan Kalika Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay Gani
PublisherK V Shastra Sangrah Samiti Jalor
Publication Year1986
Total Pages660
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, Shilpvastu, & Muhurt
File Size11 MB
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