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________________ ॥ कल्याणकलिका. खं० २ ॥ करवो, क्रियाकारके अभिमंत्रणपूर्वक सप्तधानधी बिंबोने स्नपन करावg, अम्बा देवीने पूजवा पूर्वक जन्ममहोत्सव- निदर्शन करावयु, छप्पन | दिशाकुमारीओ बडे सूतिकर्म करावबु, माता तथा पुत्रने हाथे रक्षापोटली बांधवी, अने जल, चन्दन, गन्ध, पुष्प, वास आदिने पोतपोताना || सप्तमामंत्रे अभिमंत्रित करवा, जिनना जमणा हाथनी आंगलीए पंचरत्ननी पोटली बांधवी, जिननो कंठे अरेठांनी माला तथा यवनी माला कहिके जन्मपहेराबवी, अने जलदर्शन करावी गीत नृत्यादिनी धामधूम कराववी. कुमारीओ तथा इन्द्राणीओ द्वारा जन्ममहोत्सव कराया पछी ६४ कल्याणकइन्द्रो मेरुपर्वत उपर लइ जईने जिननो जन्माभिषेक करवो, इन्द्ररूपे कल्पायेला प्रतिष्ठाकारक गृहस्थे जिननी आगल रूपाना अक्षतो बडे विधि ॥ अष्टमंगल आलेखवा अने ते पछी मंगलदीपक, आरती तथा लवणावतारणादिक कार्यों करवां. कृत्यविधि - ॐ नमो अरिहंताणं-हृदये, ॐ नमो सिद्धाणं-मस्तके, ॐ नमो आयरियाणं-शिखायाम्, ॐ नमो उवज्झायाणं-सन्नाहे, ॐ नमो लोए सब्बसाहणं-दिव्याने एम आत्मरक्षार्थे ३ वार पद भणनपूर्वक प्रतिष्ठाचार्य अंगन्यास करवो, तथा - ॐ नमो अरिहंताणं, ॐ नमो सिद्धाणं, ॐ नमो आयरियाणं, ॐ नमो उवज्झायाणं, ॐ नमो लोए सब्बसाहणं, | ॐ नमो आगासगामीणं, ॐ नमो हः क्षः अशुचिः शुचिर्भवाभि स्वाहा । आ शुचि विद्याए ३ वार सर्वांग स्पर्श करी प्रतिष्ठाचार्ये पोतानी पवित्रता करीने स्नात्रकारोनुं पण सकलीकरण करवू. ए पछी 'क्षि प ॐ स्वा हा' 'हा स्वा ॐ पक्षि' आ ५ तत्वोने पगो १, नाभि २, हृदय ३, मुख ४, ललाट ५ ।, तथा ललाट १, मुख २, हृदय ३, नाभि ४, पगोमां ५, एम चढ उपर क्रम बढे ३ वार स्थापवां. पछी - || १५३ ।। For Private Jain Education International www.jainelibrary.org Personal Use Only
SR No.001723
Book TitleKalyan Kalika Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay Gani
PublisherK V Shastra Sangrah Samiti Jalor
Publication Year1986
Total Pages660
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, Shilpvastu, & Muhurt
File Size11 MB
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