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॥ कल्याणकलिका.
कान
॥ द्वितीया
ह्निके नंद्यावर्तादिपूजनविधि
प्रथम प्राकारना पूर्वादि द्वारो उपर सोम १, यम २, वरुण ३, अने कुबेर ४, नामना चार प्रतिहारो आलेखबा, प्रतिहारोना हाथमां | अनुक्रमे धनुष्य १, दण्ड २, पाश ३ अने गदा ४, ए आयुधो आपबां.
बीजा मध्यम प्राकारना पूर्वादि द्वारो उपर अनुक्रमे जया १, विजया २, अजिता ३, अने अपराजिता ४, ए नामक द्वारपालिकाओनो विन्यास करवो.
त्रीजा बाह्य प्राकारना चारे द्वारोए यष्टिआयुधवाला तुंबरुनो आलेख करवो. प्रथम प्राकारनां आग्नेयादि ४ विदिशाओमा १२ सभाओ आलेखवी, ते आ प्रमाणे - आग्नेयी विदिशामां साधुओ १, वैमानिक देवीओ २, अने साध्वीओ ३ एम त्रण सभाओ आलेखबी. नैत्रतेयी विदिशामां भवनपतिदेवीओ १, व्यन्तरदेवीओ २, अने ज्योतिष्कदेवीओ ३, एम त्रण सभाओ आलेखबी. वायवी विदिशामां भवनपतिदेवो १, व्यन्तरदेवो २, अने ज्योतिष्कदेवो ३, एम त्रण सभाओ आलेखवी. ऐशानी विदिशामां वैमानिकदेवो १, मनुष्यपुरुषो २, अने मनुष्यस्त्रियो ३, ए त्रण सभाओ आलेखवी. बीजा प्राकारनी अंदर तिर्यश्चो आलेखवां, अने त्रीजा प्राकारनी अंदर देव मनुष्योना यानो अने वाहनो आलेखवां. त्रीजा प्राकारनी बहार मनुष्यो, देवो, आदिना आलेखो करवा. प्रत्येक द्वारनी बंने तरफ कमलिनीवनशोभित बावडीओ आलेखबी.
ते पछी बज्रलांछित इन्द्रपुर देइ दिशाओमा “परविद्या क्षः फट्" लखवू अने कोण विभागोमा “परमन्त्राः क्षः फट्" लखg, छेल्ले चारे खूणाओमां ४ पूर्णकलशो लखवा अने तेनी बहार वायुभवन आप_.
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