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॥ कल्याणकलिका. खं० २ ॥
पोताना जमणा हाथनी शाखा उपर अने (१) ॐ महाकालय नमः (२) ॐ यमुनायै नमः ओ डाबा हाथनी शाखा उपर.
प्रत्येक देवतानो नाममंत्र भणी ते ते अंगो उपर त्रण २ वार वासक्षेप करी देवताओने त्यां स्थापी संनिरोधन कर, अने दूर्वा वासाक्षत वडे तेमनुं पूजन करवू.
आ छी शान्तिमंत्रे बलि मंत्रीने दिक्पालोना नाममंत्रो बोलवा पूर्वक पूर्वादि दिशाओमां बलिक्षेप करवो, भगवन्तनी पूजा करवी, अने संघनी भक्ति करवी.
॥ इति द्वारप्रतिष्ठा विधिः ॥
प्रतिष्ठा विधिः ॥
॥ ३२ ॥
परिच्छेद ६. हृदय प्रतिष्ठा विधिः (शिखरे प्रासादपुरुष स्थापनाविधि) प्रासादहृदयस्थाने, प्रासादपुरुषाह्वयः । नरः स्वर्णमयः स्थाप्यो, हृत्प्रतिष्ठा हि सा मता ॥१२॥ प्रासादना हृदय स्थानमां (आंबल सारामां) सुवर्णमय पुरुष स्थापबो तेनुं नाम हृदयप्रतिष्ठा छे..
प्रासादपुरुष - देवमंदिरना शिखरे आंबलसारामां त्रांबानो कलश स्थापन करी, तेना उपर सुवर्णनी बनावेली पुरुषना आकारनी अक मूर्ति धातुना अथवा चन्दनना पलंग उपर सुवाडवामां आवे छे तेने 'प्रासादपुरुष' नाम आपेलुं छे. प्रासादपुरुषर्नु स्वरूप अक ध्वजाधारी पुरुषना जेवू होय छे, तेना जमणा हाथमां कमलनुं फूल बताव, अने डाबा हाथमा त्रण पताका वालो ध्वज देवो. डाबो हाथ छातीना भागमां अडकेलो अने तेनो ध्वज खांधे अडकेलो करवो.
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॥ ३२ ॥
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