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________________ ज्योतिष लक्षणे - वास्तु मुहूर्तो ] प्रतिष्ठामां वार - नारदसंहिता कुजवर्जितवारेषु, कर्तुः सूर्येबलप्रदे । चन्द्रताराबलोपेते, पूर्वाहे शोभने दिने । शुभे लग्ने शुभांशे च कर्तु र्न निधनोदये ॥ ७६२ ॥ भा०टी० - मंगलवार सिवायना वारोमां, कर्ताने सूर्यबल आपतो होय त्यारे, चन्द्र तथा ताराबलवाला शुभ दिवसे दिवसना पूर्वार्धमा कर्तानी जन्मराशि वा जन्मलश्थी आठमी राशिनुं लग्न छोडीने शुभ लग्न तथा शुभ नवमांशमां प्रतिष्ठा करवी. वसिष्ठना मते प्रतिष्ठामां वारफल-कीर्तिप्रदं क्षेमकरं कृशानोर्भयप्रदं वृद्धिकरं नराणाम् । लक्ष्मीकरं सुस्थिरदं त्विनादिवारेषु संस्थापनमामनन्ति ॥ ७६३ ॥ ५९१ भा०टी० - सूर्यादि सात वारोमां थयेली देवोनी स्थापना अनुक्रमे कीर्ति आपनारी, कल्याण करनारी, अग्निमय करनारी, कारकजनानी वृद्धि करनारी, लक्ष्मी करनारी अने दीर्घकाल स्थायी रहेनारी होय छे. उपरना निरूपणथी जणाय छे के एक मंगलवारने छोडी बीजा बधा वारो प्रतिष्ठामां लड़ शकाय छे, पण तेमां वारगत दोषोअर्धयाम, कुलिक, कालवेला दुर्मुहूर्त आदि अवश्य टालवा. प्रतिष्ठामां नक्षत्र वसिष्ठसंहिता -- हस्तत्रये मित्र हरित्रये च पौष्णद्वयादित्यसुरेज्यभेषु । तिस्रोत्तराधातृशशाङ्कभेषु, सर्वामरस्थापनमुत्तमं तत् ॥ ७६४ ॥ भा०टी० - हस्त, चित्रा, स्वाति, अनुराधा, श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषा, रेवती, अश्विनी, पुनर्वसु, पुष्य, उत्तराफाल्गुनी, उत्तरा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001722
Book TitleKalyan Kalika Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay Gani
PublisherK V Shastra Sangrah Samiti Jalor
Publication Year1987
Total Pages702
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, Shilpvastu, & Muhurt
File Size11 MB
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