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पृष्टाङ्क १४५
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विषयानुक्रमणिका]
ग्रन्थविषय सप्तशाखा द्वारनी वर्तना द्वारशाखाना विस्तारनुं मान उत्तरंग जिनेन्द्रायतनना ८ प्रतिहारो आयुधो प्रतिमाओनां पदस्थानो मण्डलोमां देवोना स्थानोनो अतिदेश स्पष्टीकरण अपराजितपृच्छानुं विधान समरांगण सूत्रधारनां देवतापद स्थानो उपरोक्त ग्रंथमा ए विषय बीजा प्रकारे प्रासादमंडननां देवतापद स्थानो आज काल प्रचलित देवता पद स्थानो दृष्टिस्थान ए विषयमा अपराजित० विधान वाहनदृष्टि ठकुर फेरुनु दृष्टि विधान आचार्य वसुनन्दिनी दृष्टिस्थान विषयक मान्यता प्रणाल मूकवानी दिशा प्रतिमामान द्वारोदय माने ( ऊर्ध्वस्थिति) ऊर्चस्थित तथा आसीन गर्भमाने प्रतिमामान प्रासादमाने प्रतिमामान शिखरश्रृङ्गो अने उरुशङ्गो (प्रासादमण्डने)
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