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योग- लक्षणम् ]
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भा०टी० - भद्रानी आद्य घडीओ तेनुं मुख अने १ घडी गलुं जाणवु, ए पछीनी ११ घडीओ छाती, ४ घडीओ तेनी नाभि, ६ घटिकाओ भद्रानो कटिभाग अने ३ घडीओ भद्रानुं पुच्छ छे, आम मुखथी पुच्छ पर्यन्त अनुक्रमे भद्रानो ए अंगविभाग छे, हवे आ अंगविभागोनु भिन्न भिन्न फल कहीश, मुखविभागनी पांच घडीओमां कार्य करतां ते कार्यनो नाश थाय छे, गलानी घडीमां कार्य कर्तानुं मरण थाय छे, हृदयविभागनी ११ घडीओमां धनहानि थाय छे, नाभिविभागनी ४ घडीओ विघ्न करनारी छे, कटिविभागनी ६ घडीओमां कार्य करतां बुद्धिभ्रंश थाय छे, ज्यारे पुच्छ विभागनी त्रण घडीओमां युद्धमां विजय प्राप्त थाय छे.
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भद्राना तिथिसंबन्ध विषे आरंभसिद्धिरात्रौ चतुथ्यैकादृश्यो -रष्ठमीरा कयोर्दिवा | भद्रा शुक्ले तिथौ कृष्णे, स्वेकैकोने यथाक्रमात् ॥ ५८९ ॥ भा०टी० - शुक्लपक्षनी चतुर्थी तथा एकादशीए भद्रा तिथिना उत्तरार्धमा एटले रात्रिविभागमां अने शुक्ल अष्टमी तथा पूर्णिमाए भद्रा दिवसे होय छे, कृष्णपक्षमा उक्त तिथिओना अंकमांथी एकडो ओछो करतां जे संख्या रहे तेटलामी तिथिमां पूर्वोक्त प्रकारे अनुक्रमे भद्रा रात्रि दिवसना विभागे जाणवी. जेम के कृष्ण तृतीया दशमीए रात्रिमा अने कृष्ण सप्तमी चतुर्दशी दिवसभागे भद्रा होय छे. दिशा कालपरत्वे भद्रानुं संमुखत्वभद्रेन्द्रा १४ष्टाऽश्व७तिथ्याब्धि १५-४, दशेशाग्नि १०-११-३ मिते तिथौ । दिग्- यामाष्टकयोर्नेष्टा,
संमुखी पृष्ठतः शुभा ॥ ५९० ॥ भा०टी० - चतुर्दशी अष्टमी सप्तमी पूर्णिमा चतुर्थी दशमी एकादशी तृतीया आ तिथिओमां भद्रा पूर्वादिदिशाओं मां प्रथमादि
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