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नक्षत्र लक्षणम्]
खार्जुरिक चक्र--
रो-Fआर्द्रा
भावी
अस्वी
उ.मा.
-पू.भा.
-उ.फा.
-
पू.भा.शत---
-चि ---स्वा.
उ.पा.--
-
पू.षा.--
उदयप्रभदेव, त्रिविक्रम, आदि मध्यकालीन विद्वानो खार्जुरिक चक्रमा अभिजित्नी गणना करे छे. परन्तु प्राचीन संहिताकारो अभिजित्ने वर्जित करे छे, नारदजी तो एनो स्पष्ट शब्दोमा निषेध करे छे, ते नीचे प्रमाणे--
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