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________________ ३६६ [कल्याण-कलिका-प्रथमवणे गुरु-शुक्र-चन्द्रास्तशुद्धि-गुरु सुख-सम्पत्तिनो कारक ग्रह होई एना अस्तमां कोई पण शुभ कार्य 'गृहारंभ-गृह-प्रवेश आदि' करातुं नथी. गुरुना अस्त कालमा ज नहिं, अस्त कालनी तैयारी रूपे ज्यारे गुरु कालांशोनी निकटे पहोंचे छे त्यारे पण ते ज हीन थइ वृद्धावस्थाए पहोंचेल होई बलहीन थयो होय छे, अने कालांशोनी बहार नीकली उदित थया पछी पण अमुक समय सुधी ते अल्प तेजस्क होई बाल गणाय छे, गुरु बाल्य कालमा पण बलहीन गणाय छे. गुरू पूर्व या पश्चिममा अस्त या उदय पामे छे. अस्त पहेलां १५ दिवस वृद्ध अने उदय पछी १५ दिवस सुधी बाल गाय छे. गुरुना वार्द्धक्य, अस्तमन अने बाल्य कालमां शुभ कार्य करवानो निषेध छे. गमे तेटलं आवश्यक कार्य होय तो ये उदयास्त पछीपहेलांना ३-३ दिवसो अने अस्तना सर्व दिवसो तो शुभ कार्यमां तजवा ज जोईये. गुरु मकर राशीनो होय त्यारे नीचनो गणाय छे " नीचस्थो निष्फलो ग्रहः।" आ वचनानुसार बुद्धिमाने ज्यां सुधी गुरु परम नीचांशोमां होय त्यां सुधी सुख अने सम्पत्तिजनक कार्यो करवानुं मुलत्वी राखवू जोईये. ____ एज प्रमाणे शुक्रना पण अस्तमा, वार्धक्यमा के बाल्य कालमां कोई शुभ कार्य करवू न जोईये, शुक्र स्त्री जातीय ग्रह होइ एना शुभाशुभत्वनो समय स्त्री जातीने अधिक असर करे छे. ए ज कारणे श्रमणधर्मस्वीकारना मुहूर्तमां शुक्रास्तनो दोष गण्यो नथी, शुक्रनो बाल्य के वार्धक्य काल गुरुना करतां लगभग एक तृतीयांश जेटलो गणाय छे. शुक्र पण नीचनो होय त्यारे बलहीन तो बने ज छे, पण शुक्रनुं नीच राशि भ्रमण घणे भागे वर्षाकालमा आवतुं होइ ते काले प्रायः शुभ कार्यों ओछा ज थाय छे एथी शुक्रना नीचत्व कालने Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001722
Book TitleKalyan Kalika Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay Gani
PublisherK V Shastra Sangrah Samiti Jalor
Publication Year1987
Total Pages702
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, Shilpvastu, & Muhurt
File Size11 MB
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