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मार्त-लक्षणम् ] पूर्वापरास्यं गेहाचं, कर्के सिंहे मृगे घटे। तुलाज्जालिवृषस्थेऽर्के, कुर्याद्याम्योत्तराननम् ॥१८॥ युग्म कन्या धनुर्मीने, गतेऽर्के नैव कारयेत् । वृषालि कुंभसिंहेऽर्के, कुर्याद गेहं चतुर्दिशम् ॥ १९ ॥
भाण्टी०-कर्क, सिंह, मकर अने कुंभ, राशिना मूर्यमां पूर्वाभिमुख अथवा पश्चिमाभिमुख गृहादिनो आरंभ करवो; मेष, वृषभ, तुला अने वृश्चिकना सूर्यमा दक्षिणाभिमुख अथवा उत्तराभिमुख घरनो आरंभ करवो; मिथुन, कन्या, धनु अने मीन राशिओना सूर्यमां गृहादिनो आरंभ ज न करवो, ज्यारे वृषभ, सिंह, वृश्चिक, कुंभ आ स्थिर राशियो उपर सूर्य रहेलो होय त्यारे न्यारे दिशाना द्वार वाला घगेनो कार्यारंभ करी शकाय छे.
अधिकमास-अधिकमासमां शुभ कार्यों करवानो निषेध करेल छे. पण अधिकमास कयो एनी पण आजना बनी बेठेला केटलाक ज्योतिषियोने खबर नयी. मासवृद्धिमा केटलाये अज्ञ ज्योतिषियो प्रथमना शुक्ल पक्षने प्राकृतिक मासमां गणी बीजा आखाये मासने अधिकमां गणीने त्याज्य करे छे. ज्यारे वीजा अज्ञानिओ पहेला आखाये पूर्णान्त मासने वृद्ध गणीने बीजाने प्राकृतिक गणे छे, खरी रीते ए बने प्रकार भूल भरेला छे. वृद्ध वसिष्ठ-अधिक मासन लक्षण बतावतां कहे छेयस्मिन् दर्शस्यान्ता-दागेका परा परं दर्शम् । उल्लंध्य भवति भानोः, संक्रान्तिः सोधिमासः स्यात् ॥२०॥
भाण्टी-जेमां एक संक्रान्ति प्रथम अमावास्यानी पहेला अने गोजी संक्रांन्ति बीजी अमावास्या वीत्या पछी लागे छे, त्यारे अधिक मास पडे छे. आथी स्पष्ट छे के अमावास्याना अन्तथी
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