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[कल्याण-कलिका-प्रथमखण्डे भाव ए छे के देव अने पूजकना नक्षत्रोनी योनियो सर्प अने नोलिया जेवी जाति वेरवाली न होय, गणो देव-राक्षस अथवा मानव राक्षस जेवा वैरवाला न होय, राशियो-एक वीजीथी छठी-आठमी, नवमी-पांचमी, के बीजी-धारमी न होय; पूजक देवनो कर्जदार न होय, बेना नामना प्रथमाक्षरना वर्गों एक बीजाथी पांचमा न होय, अने बनेना नक्षत्रो एक नाडिमां न होय; ते देव अने धनिकने धारणागति शुभ छे एम जाणीने ते नामना देवनी नवी प्रतिमा भरावी.
पूर्वोक्त श्लोकमां " नूतन बिम्ब विधाने" आम नवीन बिंब भरावतां षडवर्ग जोवानो निर्देश छे. पण प्राचीन प्रतिमा पण जेना घरमां अथवा जे गाममा प्रतिष्ठित करवी होय तेना नामथी अथवा ते गामना नामथी पदवर्ग शुद्ध होय ते स्थापन करवी सारी छे, गणवैर, योनिवैर, नाडिवेध आदि दोषयुक्त प्रतिमाओ प्राचीन छतां घणे स्थाने हानिकर सावित थई छे, माटे मूर्ति भले प्राचीन होय तपापि पटवर्ग शुद्ध होय ते ज मूलनायकना स्थाने प्रतिष्ठित करवी.. ने व्यक्तिनुं जन्मनक्षत्र जाणवामां होय तेनी योनि, गण, राशि अने नाडीवेधारा ४ बावतो जन्मनक्षत्रथी जोवी, पण १ वर्ग अने २ लहे' आ बाबतो जिननी जेम धनिकनुं पण प्रसिद्ध नाम बीजें होय तो ते प्रसिद्ध नामना नक्षत्रथी जोवी. . जेना जन्मनक्षत्रनी खबर न होय तेनी योनि, गण, आदि सर्व प्रसिद्ध नामना नक्षत्रथी ज जो.
स्पष्टीकरण-कृत्तिकादि जन्मनक्षत्रानुसारी अजा आशा आदि नाम होय तेने यथासंभव “अआ" नीचेना पाछल आपीशुं ते पहेला बीजा अथवा त्रीजा कोष्टकमां लखेल जिन नामोनी साषे
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