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प्रतिमा-लक्षणम् ]
ર૭૨ आंगल उंचो राखे छे अने १ आंगलनो कर्णाधार बनावीने तेने खांधाथी जोडे छे.
(४) 'ज' ग्रन्थ नीचेना कोइ कोइ कोष्ठकमां अमोए उपर नीचे बेबे आंकडा लख्या छे, तेमांनो उपरनो आंक ए ग्रन्थना मूल श्लोको उपरथी निष्पन्न थतो अंक छे, ज्यारे नीचेनो आंक ए ग्रन्थनी हस्तलिखित प्रतिना अन्तमां आपेला कोष्ठक उपरथी लीधेल छे. मूल श्लोको घणा खरा अशुद्ध होइ तेमाथी निकलतो अंक पण अशुद्ध होय अने कोष्टकनो आंक कदापि शुद्ध होय तो उपयोगमां लेइ शकाय एम धारी नीचे ए आंक पण आपी दीधो छे.
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