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[कल्याण-कलिका-प्रथमखण्डे छे, ए नियमानुसार आनी पच्चीसमी त्रैलोक्यविजया' रेखाना २९ खंडोमां ४३५ कलाओ उपजे छे अने आखी पच्चीसीनी ४४७५) च्यारहजार च्यारसौ पंचोतेर कलाओ उपजे छ, शिखरना वलनमां आ कलाओ पैकीनी कोई पण १-१ कलानी हानि वृद्धिए कलाओ जेटलां शिखरो उपजे छे.
चन्द्रकला रेखाओसाधारण रेखाओगें 'चन्द्रकला' ए नाम एनी सोलनी संख्याने लीधे पडयुं लागे छे, केमके मूलमां ए रेखाओ १६ छे अने बधी समचार' खडो वाली छे, पण आ सोल पैकीनी प्रत्येकनी पाछल बीजी १५-१५ रेखाओ विषमचारिणी पण छे, तेथी ए २५६ नी संख्याए पहोंचे छे.
'चन्द्रकला' रेखाओमांत्रण खंडो अने चोवीश कलाओथी ओछा खंडो के कलाओवाली कोइ रेखा होती नथी. पहेली चन्द्रकला रेखा के जेनुं नाम 'शशिनी' छे ते त्रिखंडा छे अने एने चोवीस कलाओ होय छे, ए पछीनी १५ रेखाओ पण एनीज जातिनी होवाथी ते छे तो त्रिखंडा, पण ए बधीमां प्रथमखंड सिवायना खंडोमां कलाओनी वृद्धि थती जाय छे, बीजा त्रिखंडाना बीजी खंडमां ९ अने त्रीजामा १० कलाओ लागे छे, पहेला खंड करतां त्रीजामा एक चतुर्थांश कलाओ वधु होवाथी ए रेखा 'सपादचार' वाली कहेवाय छे, एज प्रमाणे जेम जेम रेखाओनो नंबर वधे छे तेम तेम तेना खंडो वधे छे अने तेनी साथे चार पण वधे छे.
सोलमी त्रिखंडाना पहेला खंडनी ८ कलाओ करतां त्रीजा खंडनी ३८ कलाओ पोणा पांचगणी थइ जाय छे अने तेथी ए रेखाओनो चार पोणापांच गगो गणाय छे.
चन्द्रकलारेखाओ पैकीनी बीजी मूल रेखा 'शान्तिनी' गणाय
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