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आचारदिनकर (खण्ड-३) 12 प्रतिष्ठाविधि एवं शान्तिक-पौष्टिककर्म विधान (उड़द) ४. चणक (चना) ५. जौ ६. गेहूँ ७. तिल। कुछ आचार्य सप्त धान्य में १. सण (सन) २. कुलत्थ ३. मसूर ४. बल्ल (रा) ५. चणक ६. ब्रीही (चावल) ७. चवलक (चवलें) - ये सात धान बताते है। कर्पूर, कस्तूरी, चन्दन, अगरु, कुंकुम, गुग्गुल, कुष्टमांसी, मुरा आदि सुगंधित पदार्थ तथा कालाअगरु, दशांगधूप, पंचांगधूप, द्वादशांगधूप, द्वात्रिंशदांगधूप, गुग्गुल, सर्जरस, कुन्दरूक आदि धूपद्रव्य संगृहीत करें। कर्पूर, कस्तूरी, पुष्प, सुगन्ध से वासित चन्दन की लकड़ी का चूर्ण एवं सुगन्धित पाँच प्रकार के वर्ण (रंग) एवं जाति वाले पुष्प लाएं। स्वर्ण, चाँदी, प्रवाल, राजावर्त (हीरा), मोती - इन पाँच रत्नों की आठ पोटली बनाएं। बीस केसरीसूत्र का कंकण बनाएं। श्वेत सरसों लाकर, सरसों की आठ पोट्टलिका बनाएं। श्वेत सरसों, दूध, दही, घी, अखण्डित चावल, दूर्वा, चन्दन एवं जल रूप लकड़ी लाएं। चतुष्कोण वेदी बनाएं। जौ बोने के लिए दस सकोरे लाकर उनमें जौ बोएं। एक सौ छत्तीस मिट्टी के कलश बनाएं, एक चाँदी की तगारी, एक सोने की शलाका तथा श्रीपर्णीवृक्ष की लकड़ी का एक नंद्यावर्त पट्ट बनाएं। उसको सुशोभित करने एवं ढकने के लिए बारह हाथ परिमाण के छ: वस्त्र और एक दस हाथ की मातृशाटिका लाएं। मूंग, जौ, गेहूँ, चने और तिल - इन पाँचों धान के पाँच-पाँच मोदक, अर्थात् कुल पच्चीस मोदक (कर्करिका) बनाएं। लड्डू, बाट (लपसी), खीर, करम्ब, कसार, भोजन, घी, शक्कर एवं आटा मिलाकर बनाई गई मीठी पूरी एवं मालपुए बनाएं। इन सभी वस्तुओं को सकोरों में रखें तथा नारियल, सुपारी, द्राक्षा, खारक, शर्करा, वषौपल, वाताम (बादाम), जामफल, वीरष्टक, दाडिम, बिजौरा, आम्रफल, इक्षु, केला, नारंगी, करूण राजादन (खिरनी), बदर (बेर), अखरोट, दार, चारोली, निमज्जक, पिस्ता आदि सूखे एवं गीले फल लाएं। वेष्टन (लपेटने) के लिए लाल डोरा, कंकण में बांधने हेतु लाल डोरा लाएं। जिनके चारों कुल कुलीन हों तथा जो पुत्र एवं पतिसहित, अर्थात् सधवा हों, कंकण बधाने के लिए ऐसी पाँच स्त्रियाँ, चार कंचुलिका बनाएं, दीप से गर्भित-ऐसे दस सकोरे लाएं या बनाएं तथा घी, गुड़ सहित चार मंगलदीपक और तीन सौ छत्तीस प्रकार का क्रियाणा एकत्रित करें।
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