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आचारदिनकर (खण्ड-३)
193 प्रतिष्ठाविधि एवं शान्तिक- पौष्टिककर्म विधान
उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र की पूजा के लिए मूलमंत्र मूलग्रन्थ में उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र की पूजा हेतु मूलमंत्र का उल्लेख नहीं किया गया है ।
"ॐ घृणि घृणि नमोऽर्यम्णे उत्तराफाल्गुनीस्वामिने अर्यमन् इह शान्तिके....... शेष मंत्र पूर्ववत् । " ( एकवचन में ) हस्तनक्षत्र की पूजा के लिए
मूलमंत्र - "ॐ घृणि घृणि नमो दिनकराय स्वाहा । "
“ॐ नमो दिनकराय हस्तस्वामिने दिनकर इह शान्तिके... शेष मंत्र पूर्ववत् । " ( एकवचन में ) चित्रानक्षत्र की पूजा के लिए
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पूर्ववत् । " ( एकवचन में )
स्वाहा ।"
मूलमंत्र – “ ॐ तक्ष - तक्ष नमो विश्वकर्मणे स्वाहा । "
“ॐ नमः चित्रेशाय विश्वकर्मन् इह शान्तिके...... शेष मंत्र पूर्ववत् ।" ( एकवचन में )
स्वाति नक्षत्र की पूजा के लिए
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मूलमंत्र – “ ॐ यः यः नमो वायवे स्वाहा ।"
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“ॐ नमो वायवे स्वातीशाय वायो इह शान्तिके शेष मंत्र
विशाखा नक्षत्र की पूजा के लिए
मूलमंत्र - “ॐ वषट् नमः इन्द्राय स्वाहा ऊँ रं रं नमो अग्नये
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“ॐ नमः इन्द्राग्निभ्यां विशाखास्वामिभ्यां इन्द्राग्नी इह शान्तिके शेष मंत्र पूर्ववत् । " ( द्विवचन में )
अनुराधानक्षत्र की पूजा के लिए -
मूलमंत्र – “ ॐ नमः घृणि- घृणि नमो मित्राय स्वाहा ।" “ॐ नमो मित्राय अनुराधेश्वराय मित्र इह शान्तिके... शेष मंत्र पूर्ववत् । " ( एकवचन में )
ज्येष्ठानक्षत्र की पूजा के लिए
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मूलमंत्र – “ ॐ वषट् नम इन्द्राय स्वाहा । "
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“ॐ नमः इन्द्राय ज्येष्ठेश्वराय इन्द्र इह शान्तिके...... शेष मंत्र पूर्ववत् । " ( एकवचन में )
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