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आचारदिनकर (खण्ड-३) 192 प्रतिष्ठाविधि एवं शान्तिक-पौष्टिककर्म विधान
“ॐ नमः चन्द्राय मृगशिरोधीशाय चन्द्र इह शान्तिके...... शेष मंत्र पूर्ववत् ।“ (एकवचन)
आर्द्रानक्षत्र की पूजा के लिए - मूलमंत्र - “ॐ द्रु द्रु नमो रुद्राय स्वाहा।'
"ऊँ नमो रुद्राय आद्रश्वराय रुद्र इह शान्तिके..... शेष मंत्र .. पूर्ववत् ।' (एकवचन में)
पुनर्वसुनक्षत्र की पूजा के लिए - मूलमंत्र - "ॐ जनि-जनि नमो अदितये स्वाहा।"
“ॐ नमो अदितये पुनर्वसुस्वामिन्यै अदिते इह शान्तिके....... शेष मंत्र पूर्ववत् । (स्त्रीलिंग एकवचन में)
पुष्यनक्षत्र की पूजा के लिए - मूलमंत्र - "ऊँ जीव-जीव नमो बृहस्पतये स्वाहा।'
"ऊँ नमो बृहस्पतये पुष्याधीशाय बृहस्पतये इह शान्तिके...... शेष मंत्र पूर्ववत् ।' (एकवचन में)
आश्लेषानक्षत्र की पूजा के लिए - मूलमंत्र - “ॐ फु फु नमः फणिभ्यः स्वाहा।"
“ऊँ नमः फणिभ्यः आश्लेषास्वामिभ्यः इह शान्तिके आगच्छत-आगच्छत इदमयं गृहीत-गृणीत सन्निहिता भवत-भवत स्वाहा जलं गृणीत-गृहीत गन्धं अक्षतान् फलानि मुद्रां पुष्पं धूपं दीपं नैवेद्यं सर्वोपचारान् गृहणीत-गृणीत शान्तिं कुरूत-कुरूत तुष्टिं पुष्टिं ऋद्धिं वृद्धिं कुरूत-कुरूत सर्वसमीहितानि ददध्वं-ददध्वं स्वाहा।" (बहुवचन)
मघानक्षत्र की पूजा के लिए - मूलमंत्र - “ॐ स्वधा नमः पितृभ्यः स्वाहा।"
"ऊँ नमः पितृभ्यो मघेशेभ्यः पितर इह शान्तिके...... शेष मंत्र पूर्ववत् ।" (बहुवचन में)
पूर्वाफाल्गुनीनक्षत्र की पूजा के लिए - मूलमंत्र - "ॐ ऐं नमो योनये स्वाहा।"
"ऊँ नमो योनये पूर्वाफाल्गुनीस्वामिन्यै योने इह शान्तिके...... शेष मंत्र पूर्ववत् ।" (स्त्रीलिंग एकवचन में)
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