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आचारदिनकर (खण्ड- -3)
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१. ह्रीं श्रीं रोहिण्यै नमः ३. ह्रीं श्रीं वज्र श्रृङ्खलायै नमः ५. ह्रीं श्रीं अप्रतिचक्रायै नमः ७. ह्रीं श्रीं काल्यै नमः ६. ह्रीं श्रीं गौर्यै नमः ११. ह्रीं श्रीं महाज्वालायै नमः १३. ह्रीं श्रीं वैरोट्यायै नमः १५. ह्रीं श्रीं मानस्यै नमः
प्रतिष्ठाविधि एवं शान्तिक- पौष्टिककर्म विधान
२. ह्रीं श्रीं प्रज्ञप्त्यै नमः ४. ह्रीं श्रीं वज्राङ्कुश्यै नमः ६. ह्रीं श्रीं पुरुषदत्तायै नमः ८. ह्रीं श्रीं महाकाल्यै नमः १०. ह्रीं श्रीं गान्धार्यै नमः १२. ह्रीं श्रीं मानव्यै नमः १४. ह्रीं श्रीं अच्छुप्तायै नमः १६. ह्रीं श्रीं महामानस्यै नमः
पुनः बाहर की ओर वलय बनाकर चौसठ पंखुड़ियाँ बनाएं तथा निम्न मंत्रपूर्वक उनमें प्रदक्षिणा क्रम से चौसठ देवियों ( योगिनियों) की स्थापना करें
१. ॐ ब्रह्माण्यै नमः नमः ४. ॐ शाङ्कर्यै नमः नमः ७. ॐ कराल्यै नमः
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२. ऊँ कौमार्यै नमः ५. ॐ इन्द्राण्यै नमः
ॐ काल्यै नमः
ए.
२०. ॐ
नमः १०. ॐ चामुण्डायै नमः ११. ॐ ज्वालामुख्यै नमः १२. ॐ कामाख्यायै नमः १३. ऊँ कापालिन्यै नमः १४. ॐ भद्रकाल्यै नमः १५. ॐ दुर्गायै नमः १६. ॐ अम्बिकायै नमः १७. ॐ ललितायै नमः १८. ॐ गौर्यै नमः १६. ऊँ समुङ्गलायै नमः रोहिण्यै नमः २१. ॐ कपिलायै नमः २२. ॐ शूलकटायै नमः २३. ऊँ कुण्डलिन्यै नमः २४. ॐ त्रिपुरायै नमः २५. ॐ कुरुकुल्लायै नमः २६. ॐ भैरव्यै नमः २७. ॐ भद्रायै नमः २८. ॐ चन्द्रावत्यै नमः २६. ॐ नारसिंह्यै नमः ३०. ॐ निरंजनायै नमः ३१. ऊँ हेमकान्त्यै नमः ३२. ॐ प्रेतासन्यै नमः ३३. ॐ ईश्वर्यै नमः ३४. ॐ माहेश्वर्यै नमः ३५. ॐ वैष्णव्यै नमः ३६. ॐ वैनायक्यै नमः ३७. ॐ यमघण्टायै नमः ३८. ॐ हरसिद्धयै नमः ३८. ॐ सरस्वत्यै नमः ४०. ऊँ तोतलायै नमः ४१. ॐ चण्ड्यै नमः ४२. ॐ शङ्खिन्यै नमः ४३. ॐ पद्मिन्यै नमः ४४. ॐ चित्रिण्यै नमः ४५. ॐ शाकिन्यै नमः ४६. ॐ नारायण्यै नमः ४७. ॐ पलादिन्यै नमः ४८. ॐ यमभगिन्यै नमः ४६. ॐ सूर्यपुत्र्यै नमः ५०. ॐ शीतलायै नमः ५१. ॐ कृष्णपासायै नमः ५२. ॐ रक्ताक्ष्यै नमः
५३. ॐ
३. ऊँ वाराहूयै ६. ऊँ कड्काल्यै ६. ॐ महाकाल्यै
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