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________________ आचारदिनकर (खण्ड-३) 148 प्रतिष्ठाविधि एवं शान्तिक-पौष्टिककर्म विधान शान्तिदेवता, श्रुतदेवता, शासनदेवता, क्षेत्रदेवता एवं समस्त-वैयावृत्त्यकर देवों की आराधना के लिए कायोत्सर्ग एवं स्तुति पूर्व की भाँति ही करें। तत्पश्चात् पुष्पांजलि लेकर निम्न छंदपूर्वक कलश पर पुष्पांजलि अर्पित करें - “पूर्ण येन सुमेरुश्रृंगसदृशं चैत्यं सुदेदीप्यते यः कीर्ति यजमान धर्मकथनप्रस्फूर्जितां भाषते। यः स्पर्धा कुरुते जगत् त्रयमहीदीपेन दोषारिणा सोऽयं मंगल रूप मुख्य गणनः कुम्भश्चिरं नन्दतु।" तत्पश्चात् आचार्य मध्य की दोनों अंगुलियों को खड़ा करके, रौद्रदृष्टिपूर्वक तर्जनी मुद्रा करें। फिर बाएँ हाथ में जल लेकर कलश पर छांटे। फिर कलश पर चन्दन का तिलक करके पुष्पादि से उसकी पूजा करें। तत्पश्चात् मुद्गरमुद्रा का दर्शन कराएं। फिर निम्न मंत्रपूर्वक कलश के ऊपर हाथ से स्पर्श करके चक्षु रक्षा करें एवं कलश के ऊपर पूर्व की भाँति सात धान्य डालें - "ऊँ ह्रीं क्षां सर्वोपद्रवं रक्ष-रक्ष स्वाहा।" फिर चाँदी से निर्मित चार कलशों से निम्न छंदपूर्वक कलश की स्नात्रपूजा करें, अर्थात् स्नान कराएं - ___ “यत्पूतं भुवनत्रयसुरासुराधीशदुर्लभं वर्ण्यम् । हेम्ना तेन विमिश्रं कलशे स्नात्रं भवत्वधुना।।" .. ___तत्पश्चात् - १. सर्वौषधियों २. मूलिका (जड़ीबूटियाँ) ३. गन्धोदक ४. वासोदक ५. चन्दनोदक ६. कुंकुमोदक ७. कर्पूरोदक ८. कुसुमोदक - इनसे भरे हुए कलशों से स्नात्र-छंदों द्वारा स्नान कराएं, किन्तु छंद के मध्य में जिनबिम्ब के स्थान पर कलश शब्द का उच्चारण करें। पंचरत्न एवं सफेद सरसों से युक्त रक्षापोट्टलिका का बन्धन भी पूर्व की भाँति ही करें। तत्पश्चात् "ऊँ अर्हत्परमेश्वराय इहागच्छतु-इहागच्छतु" - मंत्रपूर्वक बाएँ हाथ में कलश लेकर दाएँ हाथ से उसे पूर्ण रूप से चंदन से लिप्त करके पुष्पसहित मदनफल एवं ऋद्धि-वृद्धियुक्त कंकण का बंधन करें। पूर्व की भाँति कलश पर धूप उत्क्षेपण करें। तत्पश्चात् स्त्रियाँ कलश को बधाएं। कलश को - १. सुरभिमुद्रा २. परमेष्ठीमुद्रा ३. गरूडमुद्रा ४. अंजलिमुद्रा एवं Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001720
Book TitlePratishtha Shantikkarma Paushtikkarma Evam Balividhan
Original Sutra AuthorVardhmansuri
AuthorSagarmal Jain
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2007
Total Pages276
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, Religion, & Vidhi
File Size16 MB
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