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________________ कषाय के भेद ५. अक्षमा-दूसरे के अपराध को सहन न करना- अक्षमा है।४३ इस स्थिति में इतनी असहिष्णुता होती है कि भूल पर तुरन्त दण्ड देने की प्रवृत्ति होती है। जैसे- बच्चे ने दूध पीकर गिलास रास्ते में रख दिया कि तुरन्त थप्पड़ चाँटा मारने वाले कई अभिभावक होते हैं। जबकि यह बात प्रेम से भी समझाई जा सकती है। ६. संज्वलन-क्रोध से बार-बार आगबबूला होना- संज्वलन है।" यहाँ 'संज्वलन' का अर्थ संज्वलन कषाय से भिन्न है। कई लोग व्यतीत हो चुके क्षणों को, बीत चुके घटना-प्रसंग को, किसी के बोले गये शब्दों को बार-बार दिमाग में दोहराते रहते हैं और क्रोध से भरते रहते हैं। ७. कलह-क्रोध में अत्यधिक अनुचित शब्दावली का प्रयोग करना। ५ इसे सामान्य रूप से वाक्युद्ध कहा जाता है। सामान्य-सामान्य प्रसंगों में अपने स्वार्थ की हानि होने पर क्रोधाविष्ट हो कर कई व्यक्ति अविवेकपूर्ण, अनर्गल, उत्तेजक शब्दों में बोलना प्रारम्भ कर देते हैं- यह कलह है। ८. चाण्डिक्य-क्रोध में रौद्ररूप धारण करना, सिर पीटना, बाल नोंचना, अंग-भंग करना, आत्म-हत्या करना चाण्डिक्य क्रोध की परिणतियाँ हैं।६ ९. मंडन-दण्ड, शस्त्र आदि से युद्ध करना मंडन है।" चाण्डिक्य में क्रोधावस्था में स्वयं को कष्ट दिया जाता है एवं मंडन में दूसरों पर प्रहार होता है। मुँहमाँगा दहेज न लाने पर क्रोध में भर कर कई बहुओं को जला दिया जाता है। लूटपाट में बाधक बनने पर कई लोगों को लुटेरे गोली का निशाना बना देते हैं। कई बार क्रोधावेश में पति, पत्नी की हत्या कर देता है। न जाने कितनी घटनाएँ संसार में घटित होती रहती हैं। १०. विवाद- परस्पर विरुद्ध वचनों का प्रयोग करना।८ पक्ष-विपक्ष में उत्तेजक वार्तालाप होना विवाद है। 'कसायपाहुड' में 'वृद्धि' एवं 'झंझा' पर्याय दिए हैं-१९ १. वृद्धि-कलह, वैर आदि की वृद्धि करने वाली प्रवृत्ति व्यवहार करनावृद्धि है। जैसे अपने विरोधी को जान बूझकर चिढ़ाना आदि! ४३. वही। ४४. से ४६. भगवतीसूत्र/ अभयदेवसूरि वृत्ति/ श. १२/ उ. ५/सू. २ ४७. से ४८. भगवतीसूत्र/ अभयदेवसूरि वृत्ति/ श. १२/ उ. ५/ सू. २ ४९. क. चू./ अ. ९/ गा. ३३ का अनुवाद Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001719
Book TitleKashay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHempragyashreeji
PublisherVichakshan Prakashan Trust
Publication Year1999
Total Pages192
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Religion, & Kashaya
File Size11 MB
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