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________________ शब्दानुक्रमणिका ३१३ कापिट्ठ-कापिष्ठ ( स्वर्ग) ७।८।१२ कुकइ-कुकवि ९।२।१२ कामएव बंधु-कामदेव बन्धु (वसन्त) २।३८ कुच्छर-कुक्षर १०॥३८७ कामकित्ति-कामकीर्ति २।३।१६ कुच्छि -कुक्षि १०।२५।२५ कामदेउ-कामदेव ११५२ कुज्जउ-कुब्जक-संस्थान १०१११११२ काम-मय-काममद २।४।१३ कुज्जय-कुब्जक-संस्थान १०१२०१७ कामरूउ-कामरूप ( नामक शत्रु ) ३।१०३ कुट्टि-कूटन, कूटना २।१०१८ कामिणि-यण-कामिनीजन २।१८।८ कुट्टिम-कृत्रिम ९।२।३ काय-शरीर १७५ कुणय-कुनय २।१५।१४ कायरणर--कातर नर १।५।४,२।१०।९,१०।२७।११ बुपुरिसु-कुपुरुष २।१।१० कायरु-कायर २।१।१० कुभाव-कुभाव २।१४।१० कारावइ-कारापित १११२७ कुम्मुण्णय-कूर्मोन्नत योनि १०।११।१३ कारुन्न-कारुण्य ६।१२।५ कुमयमग्गे-कुमतिमार्ग २।१६।१ कालणेव-कालार्णव (काला समुद्र) १०।१०।१ कुमुइणि-कुमुदिनी ७।१६।३ कालाणल-कालानल (प्रलयकालीन अग्नि) ४।५।२ कुमुयायर-कुमुदाकर ४।१३।९ कलि-समय १।१३।३ कुरणंकुर-किरणांकुर ७.१५१५ कलिया-कृष्ण (काली) १।८।१ कुरु-करो २।१।११ कालिसवरी-काली शबरी २।१०।११ कुरुदुम-कुरुवृक्ष १०११६६ कालु-काल ८।५।६ कूल-कुल, वंश १२।३ कावि-कोऽपि ( कोई ) १।११।१० कुलक्कम-कुलक्रम १११५४९ कासु-कस्य ११३।१४, १।१२।४ कुलक्कमाउ-कुल-क्रमागत १।१७।१ काहल-काहल ( वाद्य) ९।१४।११ कुलक्कमु-कुलक्रम २।१३।५, २।२।८ किउ-कृतः-किया ११५।१० कुलक्खउ-कुलक्षय ४।७१७ किण्ण-क्या नहीं ? ५।११४ कुलदिणमणि-कुलदिनमणि २७।३ कित्ति-कीर्ति २।२।६ कुलदीव-कुलदीपक ४।६।३ कित्तिय-कियत्, कितना २।१५।६ कूलाल-कुलाल ५।२३१७ किन्न-क्या नहीं ? ४।१८।१ कूलिस-वज्र ६।१२।९ किमि-कृमि ( द्वीन्द्रिय जीव ) ६।११।८, १०।१८।१ कुबेर-कुबेर ७।१०।६ किरण-किरण २।११।६ कुस-कुश २।१९१६, १०६६ किरणुज्जलु-किरणोज्ज्वल २।२२।१४ कूसग्ग-कुशाग्र १०।९।८ किरणोलि-किरणावलि ५।६।९ कुसमुग्गमु-कुसुमोद्गम १५५ किरिय-क्रिया २।२।२ कुसल-कुशल १।१२।१४ किरिया-क्रिया २।१।११ कुसुमचए-कुसुमचय (समूह) ३।२२।११ किह-कथम् १।९।१० कुसुममाल-सम-पुष्पमालाके समान २।१७।१० कीर-तोता २।३।१० कुसुमसिरि-कुसुमश्री ४।१।१६ कीरालि-शुकपंक्ति ११८।१० कुसुमायुध-कुसुमायुध १११३३३ कील-क्रीड़ा १।८।८ कुसुमालंकरिय-कुसुमालंकृत २।१२।९ कुक्कुड-कुक्कुट ६।१३७ कुसुमोह-कुसुमोघ ११८।१ कुक्खि-कुक्षि ३।१९।३, १०८१ कुसुमंग-कुसुमांग १०।१८।११ ४० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001718
Book TitleVaddhmanchariu
Original Sutra AuthorVibuha Sirihar
AuthorRajaram Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1975
Total Pages462
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Story, Literature, & Religion
File Size9 MB
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