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________________ ३९८ द्वार ९३ 2982888888888 एक समय में उत्कृष्ट से क्षपक १०८ तथा उपशामक ५४ होते हैं। एक समय में जघन्य से क्षपक तथा उपशामक १-२ या ३ होते हैं ।।७२७ ॥ कर्मरूपी मैल की अपेक्षा से जो शुभध्यानरूपी जल से (कर्मरूपी मैल को दूरकर) विशुद्ध-रहित हो चुका है वह स्नातक है। 'स्नातक' सयोगी और अयोगी के भेद से दो प्रकार का है ।।७२८ ।। मूलगुण व उत्तरगुण सम्बन्धी अतिचारों का सेवन करने वाले पुलाक हैं तथा उत्तरगुण सम्बन्धी अतिचारों का सेवन करने वाले बकुश हैं। शेष निर्ग्रन्थ मूलगुण और उत्तरगुण के अविराधक हैं ।।७२९॥ निम्रन्थ, स्नातक और पुलाक इन तीनों का वर्तमान में विच्छेद हो चुका है। किन्तु बकुश और कुशील यावत्तीर्थ विद्यमान रहेंगे ॥७३० ।। -विवेचन ग्रन्थ-कषायवश आत्मा जिसे बाँधता है अथवा जिसके कारण आत्मा कर्म से बंधता है वह ग्रंथ है। उसके दो भेद हैं-बाह्य व आभ्यन्तर । बाह्यग्रन्थ आभ्यन्तर ग्रन्थ धन-धान्य, क्षेत्र, वास्तु, मित्रज्ञाति-संयोग, मिथ्यात्व-कषाय और नोकषाय = १४ शयन-आसन, दास-दासी और कुप्य। १. धन-सोना, चाँदी आदि । १. मिथ्यात्व-तत्त्व पर अश्रद्धा धान्य-शाली, ओदन, मूंग आदि। २. क्षेत्र खेत-कुंआ-पुल आदि । २-४. वेदत्रिक-स्त्री, पुरुष, नपुंसक ३. वास्तु-मकान, महल, घर इत्यादि । ५. हास्य-हँसी ४. मित्रज्ञातिसंयोग-मित्र और ६. रति-असंयम में प्रीति ___स्वजनों का सम्बन्ध ७. अरति-संयम में अप्रीति ५. यान-शिबिका, रथ आदि वाहन । ८. भय--इहलोक, परलोक आदि सात ६. शयन-पलंग, आदि। प्रकार का ७. आसन-सिंहासन आदि। ९. शोक-इष्ट वियोग जन्य मानसिक ८. दास-पुरुष नौकर। संताप ९. दासी-स्त्री नौकर। १०. जुगुप्सा-साधु की मलिनता से घृणा १०. कुप्य–घरेलू सामान। ११-१४. कषाय-क्रोध, मान, माया और लोभ ॥७१९-७२२ ।। पूर्वोक्त दोनों प्रकार के ग्रन्थ से जो रहित हैं वे निम्रन्थ हैं। उसके ५ भेद हैं। १. पुलाक–अनेक दोषों के कारण जिसका चारित्र धान्य रहित छिलके की तरह सारहीन हो। चक्रवर्ती के सैन्य को चूर्ण करने में समर्थ, तप और ज्ञानातिशय से उत्पन्न लब्धि के अनावश्यक उपयोग Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001716
Book TitlePravachana Saroddhar Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHemprabhashreeji
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1999
Total Pages504
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Religion, & Principle
File Size8 MB
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