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प्रवचन-सारोद्धार ।
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क्र.सं.
नाम
वर्ण
वाहन
हाथ
हाथ में क्या?
२३. पद्मावती सुवर्ण कुर्कुट सर्प । ४ २ दायें हाथों में पद्म, पाश
२ बायें हाथों में फल, अंकुश २४. सिद्धायिका हरित सिंह ४ २ दायें हाथों में पुस्तक, अभयमुद्रा
२ बायें हाथों में बीजोरा, वीणा ( ) कोष्ठक में दिये गये नाम मतान्तर
से जानना ग्रन्थकार ने मूल में यक्ष-यक्षिणी के मात्र नाम ही दिये हैं। नेत्र, मुख, वर्ण व प्रहरण आदि का वर्णन टीकाकार ने 'निर्वाणकलिका' के अनुसार शिष्यहितार्थ किया है ॥ ३७५-३७६ ।।
२८ द्वार: २९ द्वार:
शरीर-परिमाण
लांछन
पंचधणूसय पढमो कमेण पण्णासहीण जा सुविही। दसहीण जा अणंतो पंचूणा जाव जिणनेमी ॥ ३७७ ।। नवहत्थपमाणो पाससामिओ सत्तहत्थ जिणवीरो। उस्सेहअंगुलेणं सरीरमाणं जिणवराणं ॥ ३७८ ॥
-गाथार्थतीर्थकरों का देहमान-प्रथम तीर्थंकर श्री ऋषभदेव का देहमान ५०० धनुष प्रमाण है। तत्पश्चात् अजितनाथ भगवान से लेकर सुविधिनाथ भगवान पर्यंत ५०-५० धनुष न्यून करना। तत्पश्चात् अनंतनाथ पर्यंत १०-१० धनुष न्यून करना। धर्मनाथ से नेमिनाथ पर्यंत ५-५ धनुष न्यून करना। पार्श्वनाथ का देहमान ९ हाथ एवं भगवान महावीर का देहमान ७ हाथ का है। जिनेश्वर परमात्मा के देह का परिमाण उत्सेधांगुल से परिमित होता है ।। ३७७-३७८ ॥
वसह गय तुरय वानर कूचो कमलं च सत्थिओ चंदो। मयर सिरिवच्छ गंडय महिस वराहो य सेणो य ॥ ३७९ ॥ वज्जं हरिणो छगलो नंदावत्तो य कलस कुम्मो य।
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