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________________ प्रवचन-सारोद्धार भरतक्षेत्रवर्ती वर्तमान २४ जिननाम १३. विमल १४. अनन्त १५. धर्म ११. ऋषभ २. अजित ३. संभव ४. अभिनन्दन ५. सुमति ६. पद्मप्रभ ७. सुपार्श्व ८. चन्द्रप्रभ ९. सुविधि १०. शीतल ११. श्रेयांस १२. वासुपूज्य १९. मल्लिनाथ २०. मुनिसुव्रत २१. नमिनाथ २२. नेमिनाथ २३. पार्श्वनाथ २४. महावीर १६. शान्ति १७. कुंथु १८. अरनाथ भरतक्षेत्रवर्ती भावी २४ जिननाम १. पद्मनाभ २. सुरदेव ३. सुपार्श्व ४. स्वयंप्रभ ५. सर्वानुभूति ६. देवश्रुत ७. उदय ८. पेढ़ाल ९. पोट्टिल १०. शतकीर्ति ११. मुनिसुव्रत १२. अमम १३. निष्कषाय १४. निष्पुलाक १५. निर्ममत्व १६. चित्रगुप्त १७. समाधि १८. संवर १९. यशोधर २०. विजय २१. मल्लि २२. देवजिन २३. अनन्तवीर्य २४. भद्रजिन (भद्रकृत) समवायांग में भावी जिननाम १. महापद्म २. सुरादेव ३. सुपार्श्व ७. उदय ८. पेढालपुत्र ९. पोट्टिल १०. शतक ११. मुनिसुव्रत १२. सर्वभावविद् १३. अमम १४. निष्कषाय १५. निष्पुलाक १६. निर्मम १७. चित्रगुप्त १८. समाधि १९. संवर २०. अनिवृत्ति २१. विपाक २२. विमल २३. देवोपपात २४. अनन्तविजय ४. स्वयंप्रभ ५. सर्वानुभूति ६. देवगुप्त प्रस्तुत ग्रन्थ एवं समवायांग में जो नाम भेद हैं, वह मतान्तर समझना ॥ २८८-२९५ ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001716
Book TitlePravachana Saroddhar Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHemprabhashreeji
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1999
Total Pages504
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Religion, & Principle
File Size8 MB
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